आगरा : ताजनगरी की आबोहवा प्रवासी पक्षियों को खूब भा रही है. आगरा-दिल्ली हाईवे पर स्थिति रामसर साइट सूर सरोवर (कीठम झील) मेहमान प्रवासी पक्षियों का ठिकाना बना हुआ है. यहां एक ओर जहां 2300 किलोमीटर से आए पाइड एवोसेट का कलरव सुनाई देता है तो हिमालय की चोटी पार करके आई बार हेडेड की गूंज भी सुनाई देती है. 800 हेक्टेयर में फैली रामसर साइट में प्रवासी पक्षियों के झुंड के झुंड दिखाई देते हैं. कीठम झील के पानी में अठखेलियां करते पक्षी मनमोहक लगते हैं. इसलिए ताजनगरी और आस-पास के जिलों से हर दिन प्रवासी पक्षियों को देखने के लिए पर्यटक यहां पहुंच रहे हैं.
दरअसल आगरा-दिल्ली हाईवे पर रुनकता के पास स्थित सूर सरोवर (कीठम झील) रामसर साइट है. यहां कीठम झील की वॉटर बॉडी करीब 310 हेक्टेयर है. वहीं सूर सरोवर के पास में जोधपुर झाल है, जो मथुरा जिले में पड़ती है. इन दिनों सूर सरोवर और जोधपुर झाल में प्रवासी पक्षियों ने अपना डेरा जमाया है.
संकटग्रस्त प्रवासी पक्षियों की मिली नौ प्रजातियां
पक्षी विशेषज्ञ डॉ. केपी सिंह का कहना है कि, कीठम झील में सेंट्रल एशिया के अलावा यूरोप से पक्षी आते हैं. जिसमें साइबेरिया, तिब्बत, हिमाचल के पार का रीजन है. यूरोप में रूस से, नीदरलैंड से पक्षी यहां पर आते हैं. कीठम सूर सरोवर में 70 स्पीशीज काउंट की गई थीं. इसमें 77 प्रवासी पक्षी, 33 आवासीय पक्षी और नौ संकटग्रस्त प्रजातियां मिली हैं. कीठम झील में करीब छह हजार से ज्यादा पक्षी थे. इनमें सबसे ज्यादा माइग्रेटी बर्ड्स में बार हेडेड गूज, पेलिकन, फ्लेमिंगो, कार्मोरेंटस, कॉमन शेलडक, स्पून बिल सहित अन्य पक्षी थे, जो सैकड़ों की संख्या में यहां मौजूद हैं.
जोधपुर झाल पर मिली पक्षियों की 47 प्रजातियां
पक्षी विशेषज्ञ डॉ. केपी सिंह का कहना है कि, जोधपुर झाल अपने तरह का यूनिक वैटलैंड हैं. वहां पर जो काउंटिंग हुई थी. उसमें 47 प्रजाति थीं. इसमें 27 प्रवासी पक्षी, 20 आवासीय पक्षी और सात संकटग्रस्त प्रजातियां मिली हैं. जोधपुर झाल पर पक्षियों की संख्या करीब एक हजार से ज्यादा थी. वहां पर फ्लेमिंगो, बार हेडेड गूज, पिक टेल सहित अन्य प्रवासी पक्षी थे. जोधपुर झाल पर स्थानीय पक्षियों की संख्या भी खूब है.