आगरा : पुलवामा में जैश-ए-मोहम्मद आतंकवादी संगठन के फिदायीन हमले में शहीद सैनिकों की शहादत से एक बार फिर सर्जिकल स्ट्राइक की मांग उठ रही है. आगरा के शहीद CRPF जवान कौशल कुमार रावत के परिजनों, रिटायर्ड सैन्य कर्मियों और उनके गांव के लोगों ने सरकार से फिर एक बार सर्जिकल स्ट्राइक की मांग की है.
शहीद CRPF जवान कौशल कुमार रावत की फोटो के साथ परिजन. शहीद कौशल कुमार रावत के परिजनों, रिटायर्ड सैन्य कर्मियों और ग्रामीणों का कहना है कि पाकिस्तान अपनी हरकतों से ऐसे बाज नहीं आएगा. उसे उसी की अंदाज में भारत सरकार और सेना को मुंहतोड़ जवाब देना चाहिए. सभी का कहना है कि एक बार फिर 2016 की तरह सेना को सर्जिकल स्ट्राइक करनी चाहिए.
सिलीगुड़ी से जम्मू-कश्मीर हुआ था ट्रांसफर
दरअसल, ताजगंज थाना क्षेत्र के कहरई गांव निवासी 47 वर्षीय CRPF जवान कौशल कुमार रावत गुरुवार दोपहर पुलवामा में हुए फिदायीन हमले में शहीद हो गए. कौशल कुमार रावत हाल में ही सिलीगुड़ी से ट्रांसफर होकर जम्मू-कश्मीर में ज्वाइन करने जा रहे थे. तभी रास्ते में CRPF के काफिले पर फिदायीन हमला हो गया, जिसमें उनकी गाड़ी के परखच्चे उड़ गए.
44 का बदला 4400 से ले सरकार
CRPF के काफिले पर दिल दहला देने वाले आत्मघाती हमले के बाद शहीद जवान कौशल कुमार रावत के चाचा अजय कुमार रावत ने कहा कि पुलवामा में शहीद हुए 44 जवानों की शहादत का बदला 4,400 से ज्यादा पाकिस्तानी आतंकियों और सैनिकों को मौत के घाट सुला कर लेना चाहिए. शहीद के चाचा ने कहा कि हमारी सेना को इसका जवाब देना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार को कौशल कुमार रावत के बच्चे और माता-पिता की भी मदद और देखभाल करनी चाहिए.
मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम है हमारी सेना
शहीद जवान कौशल कुमार रावत के गांव कहरई निवासी आशाराम रावत ने बताया कि 19 साल पहले वह सेना से नायब सूबेदार के पद से रिटायर्ड हुए हैं. उन्होंने कहा कि भारतीय सेना को भी आतंकवादियों और पाकिस्तान पर हमला करना चाहिए. हमें भी उन्हें सबक सिखाना चाहिए. उन्होंने कहा कि हमारी सेना में बहुत ऐसे कमांडो है, जो छापामार तरीके से युद्ध कर सकते हैं. इसलिए पाकिस्तान में घुसकर फिर एक बार नापाक हरकत करने वालों को सर्जिकल स्ट्राइक से मौत की नींद सुलाना चाहिए.
अब आमने-सामने की हो जंग
कहरई गांव के पूर्व प्रधान और रिटायर्ड सैन्यकर्मी सत्य प्रकाश रावत का कहना है कि सरकार को इस हमले से सबक लेना चाहिए. सरकार को यह भी याद रखना चाहिए 1971 में पाकिस्तान से आमने-सामने की लड़ाई हुई थी. उसके बाद पाकिस्तान सामने की लड़ाई करने से कतरा रहा है. इसलिए एक बार फिर शांति के लिए पाकिस्तान पर आमने-सामने की लड़ाई होनी चाहिए, जिससे उसे सबक मिले और हमेशा शांति बनी रहे.