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अब बच्चों का मानसिक तनाव होगा दूर, आगरा में बना डायग्नोस्टिक एवं काउंसलिंग सेंटर

उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में डायग्नोस्टिक एवं काउंसलिंग सेंटर की स्थापना की गई है. इसकी स्थापना सेंट जोंस महाविद्यालय में की गई है. इससे ऐसे बच्चे जो मानसिक तनाव से ग्रसित होते हैं, उनका इलाज किया जा सकेगा.

डायग्नोस्टिक एवं काउंसलिंग सेंटर
डायग्नोस्टिक एवं काउंसलिंग सेंटर

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Published : Dec 5, 2020, 12:25 PM IST

आगरा: सेंट जोंस महाविद्यालय ने एक अनूठी पहल करते हुए डायग्नोस्टिक एवं काउंसलिंग सेंटर की स्थापना की है. कॉलेज के मनोविज्ञान विभाग की ओर से इस सेंटर को रोटरी क्लब के सहयोग से तैयार किया गया है. इसमें खास तौर पर डिसलेक्सिया, डिस्प्लेशिया, एडीएचडी जैसी समस्याओं की जांच व काउंसलिंग की जाएगी. इस सेंटर का उद्घाटन पूर्व मंत्री राजा महेंद्र अरिदमन सिंह, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अशोक कुमार मित्तल और चर्च ऑफ नार्थ इंडिया के विशप पीपी हाबिल ने किया.

बच्चों को मानसिक तनाव से मिलेगी मुक्ति.

दरअसल, इन समस्याओं के तहत बच्चों को अक्षर पहचानने में दिक्कत आती है. इसके अलावा शब्दों को लिखने व समझने के साथ-साथ गणित के सवाल भी समझ में नहीं आते हैं. डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अशोक कुमार मित्तल का कहना है कि यह काफी अच्छा प्रयास है. वर्तमान समय में ऐसी समस्या काफी बढ़ रही हैं, जिसके चलते बच्चों को इससे काफी फायदा मिलेगा. वहीं पूर्व मंत्री अरिदमन सिंह ने कहा कि वह स्वास्थ्य विभाग को भी लिखेंगे कि इस तरह के केंद्र सभी डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल व मेडिकल कॉलेज में होने चाहिए, जिससे कि वहां भी बच्चों की जांच हो सके.

टॉप 10 के चक्कर में लेते हैं तनाव

कुलपति प्रोफेसर अशोक कुमार मित्तल ने कहा कि वर्तमान समय में पढ़ाई का जिस तरह से दबाव बनाया जा रहा है, उसके चलते ऐसी समस्याएं अब सामने दिखने लगी हैं. टॉप आने की चाह में परिजन जबरदस्ती बच्चों पर दबाव बनाते हैं और शुरुआत से ही बच्चे पर इतना दबाब बन जाता है कि वह दिमागी रूप से कमजोर होने लगता है. लिहाजा ऐसे केंद्र उनकी काफी मदद करेंगे. वहीं चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया के विशप और कॉलेज के चेयरमैन पीपी हाबिल ने कहा कि कॉलेज का यह प्रयास काफी सराहनीय है. इससे बच्चों को काफी फायदा मिलेगा.

10 से 15 प्रतिशत स्कूली छात्र हैं ग्रसित

कार्यक्रम के दौरान कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर एसपी सिंह ने बताया कि सरकार ने सीखने की क्षमता को दिव्यांगता की श्रेणी में रखा है. खासतौर से स्कूल जाने वाले 10 से 15% तक बच्चे इस समस्या से ग्रसित होते हैं. वही अभिभावक भी इस समस्या को पकड़ नहीं पाते. इसके चलते कई बार बच्चा समय रहते सही नहीं हो पाता, जिसके चलते काफी समस्याएं आती हैं.

रोटरी क्लब ने दिया सहयोग

वहीं इस लैब को बनाने में विशेष सहयोग कर रही रोटरी क्लब के अध्यक्ष डॉ. आलोक मित्तल ने बताया कि समाज को नई दिशा देने व समाज में अपना योगदान देने में रोटरी हमेशा आगे रहती है. इसी के चलते इस लैब के निर्माण में रोटरी ने विशेष भूमिका निभाई है.

इस केंद्र की संयोजिका डॉ. प्रियंका मसीह ने बताया कि पहली और दूसरी कक्षा में पढ़ने वाले बच्चे सबसे ज्यादा इस समस्या से ग्रसित रहते हैं. लिहाजा बच्चों की ओर विशेष ध्यान रहेगा. साथ ही स्कूलों में भी जागरूकता कार्यक्रम कराए जाएंगे. बच्चों के साथ-साथ अभिभावकों की भी काउंसलिंग कराई जाएगी. जिससे कि वह बच्चों को सही तरह से डील कर सकें.

'तारे जमीन पर' फिल्म के निर्देशक ने किया वीडियो संवाद

कार्यक्रम के दौरान फिल्म 'तारे जमीन पर' के निर्देशक अमोल गुप्ते और उत्तर प्रदेश कमिश्नर फॉर डिसेबिलिटी एसके श्रीवास्तव ने वीडियो संवाद के माध्यम से अपने संदेश भी दिए.

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