आगरा :करीब पांच साल पहले जम्मू-कश्मीर में शहीद हुए लांस नायक गोपाल सिंह भदौरिया के माता-पिता ने डाक से भेजे गए शौर्य चक्र को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है. शहीद के परिजनों का कहना है कि उन्हें प्रोटोकॉल के तहत राष्ट्रपति के हाथों बेटे का शौर्य चक्र दिया जाए.
शहीद लांस नायक गोपाल सिंह भदौरिया मूलरूप से आगरा की बाह तहसील के गांव तालपुरा केंजरा के रहने वाले थे. शहीद के चचेरे भाई पवन भदौरिया ने बताया कि इन दिनों उनकी माता जयश्री और पिता मुनीम सिंह भदौरिया गुजरात के अहमदाबाद बापू नगर में रहते हैं. मुंबई के होटल ताज पर आतंकी हमले के दौरान बहादुरी दिखाने वाले लांस नायक गोपाल सिंह भदौरिया 2017 में जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशन में शहीद हो गए थे. तब भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत शौर्य चक्र देने की घोषणा की थी. हालांकि पारिवारिक विवाद के बाद उनके माता-पिता वीरता पदक को नहीं ले सके. 5 सितंबर रक्षा मंत्रालय ने उन्हें डाक से शौर्य चक्र भेजा था (Defense Ministry sent Shaurya Chakra by post), जिसे स्वीकार करने से गोपाल सिंह भदौरिया के पिता मुनीम सिंह भदौरिया ने इनकार कर दिया. मुनीम सिंह भदौरिया का कहना है कि वह यह सम्मान 26 जनवरी या 15 अगस्त को आयोजित कार्यक्रम में पूरे प्रोटोकॉल के साथ लेंगे.
होटल ताज को भी कराया था आतंकियों से मुक्त :शहीद गोपाल सिंह भदौरिया (gopal singh bhadauriya) 2003 में भारतीय सेना में भर्ती हुए थे. उन्होंने नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (एनएसजी) में कमांडो की ट्रेनिंग ली थी.गोपाल सिंह भदौरिया को अरुणाचल प्रदेश में सेवा देने पर सैन्य सेवा मेडल से भी सम्मानित किया गया था. 26 नवम्बर 2008 को मुंबई के ताज होटल में हुए हमले के बाद गोपाल आर्मी के हीरो बन गए. उन्होंने अपनी साथी कमांडो के साथ मिलकर ताज होटल में आतंकियों से मुक्त कराया था. तब इस ऑपरेशन में सभी आतंकी मारे गए थे. उनकी अदम्य वीरता के लिए सरकार ने उन्हें विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित किया था. इसके बाद गोपाल एनएसजी के कई अभियान का हिस्सा बने. फरवरी 2017 में उन्हें जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन की कमान दी गई. वहां एक घर में 9 आतंकी घुसे थे. एनएसजी कमांडो गोपाल सिंह भदौरिया ने कार्रवाई करते हुए 4 आतंकवादियों को ढेर कर दिया मगर खुद भी वीरगति को प्राप्त हुए. इस वीरता के लिए सरकार ने उन्हें शौर्य चक्र देने की घोषणा की थी.