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चंबल में बढ़ रहा मगरमच्छ, घड़ियाल और डॉल्फिन का कुनबा, आठ साल में दोगुनी हो गई संख्या

चंबल नदी में मगरमच्छ, घड़ियाल और डॉल्फिन की सख्या में इजाफा हो रहा है. इनके संरक्षण के लिए नदी के किनारे बसे गांवों के लोगों को भी जागरूक किया जा रहा है.

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Published : Jun 29, 2023, 6:56 PM IST

मगरमच्छों का कुनबा
मगरमच्छों का कुनबा

चंबल में बढ़ा मगरमच्छों का कुनबा.

आगरा :देश और दुनिया में डकैत और दस्युओं की पनाहगाह के लिए मशहूर रही चंबल नदी अब संकटग्रस्त जलीय (सरीसृप) जीवों के लिए जीवनदायनी बन गई है. स्वच्छ नदी चबंल में मगरमच्छ, घड़ियाल और डॉल्फिन का कुनबा तेजी से बढ़ रहा है. बीते आठ साल में चंबल सेंचुरी में मगरमच्छ की संख्या बढ़कर दोगुनी हो गई है. इसके अलावा घड़ियाल और डॉल्फिन की संख्या में भी इजाफा हो रहा है.

1979 में चंबल को सेंचुरी घोषित किया गया :चंबल नदी मप्र, राजस्थान और यूपी में बहती है. सन 1979 में चंबल को सेंचुरी घोषित किया गया था. चंबल नदी को घड़ियाल और मगरमच्छ के संरक्षण के लिए चुना गया. सन 1981 में घड़ियाल प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई. चंबल में मगरमच्छ की नेस्टिंग का सीजन अप्रैल और हैचिंग पीरियड जून है. चंबल सेंचुरी प्रोजेक्ट की डीएफओ आरुषि मिश्रा ने बताया कि, चंबल नदी में मगरमच्छ और घड़ियाल, बटागुर कछुआ और डाॅल्फिन का कुनबा तेजी से बढ़ रहा है. घड़ियाल की संख्या अभी 1887 है. मगरमच्छ की संख्या 878 और डाॅल्फिन की संख्या 151 है. हर साल चंबल में संकटग्रस्त जलीय जीवों की संख्या आठ से दस की संख्या तेजी से बढ़ रही है. इसके साथ ही चंबल में तमाम वन्य जीव और वन्य पक्षी भी खूब कलरव कर रहे हैं. चंबल की वादियों में इंडियन स्कीमर समेत तमाम देशी और विदेशी पक्षियों की चहचहाहट भी खूब गूंजती है.

आठ साल में मगरमच्छों के साथ घड़ियाल की भी संख्या बढ़ी.

मानव-मगरमच्छ के संघर्ष की घटनाएं हुईं कम : चंबल सेंचुरी प्रोजेक्ट की डीएफओ आरुषि मिश्रा ने बताया कि, चंबल नदी में जल्द ही मगरमच्छ की हैचिंग शुरू होगी. अप्रैल माह में नदी के बालू में मादा मगरमच्छों ने अंडे दिए. नेस्टिंग की जगह की निगरानी की जा रही है. मगरमच्छ अंडे खराब होने के डर से लोगों पर हमला कर देते हैं. इसलिए, चंबल नंदी के आसपास के गांवों के ग्रामीणों को जागरूक करने का अभियान भी चल रहा है. इससे लोग जागरूक भी हुए हैं. जन सहयोग भी बढ़ा है. इससे चंबल सेंचुरी में आगरा और इटावा जिले में मानव और मगरमच्छ के संघर्ष की घटनाएं भी कम हुईं है.

चंबल नदी के किनारे 60 वन समितियां :चंबल में मगरमच्छ, घड़ियाल और डाॅल्फिन का कुनबा बढ़ने के साथ ही बीहड़ में वन्यजीवों का कुनबा बढ़े, इस दिशा में भी काम किया जा रहा है. जिससे वन्यजीव और मानव का संघर्ष कम हो. इसलिए, आगरा जिले में चंबल नदी के किनारे वाली 49 ग्राम पंचायतों के चरवाहों पर हमले बढ़ने पर 60 वन समितियां बनाई गईं. इससे वन्यजीव और मानव का टकराव भी कम हुआ है.

वार्षिक गणना रिपोर्ट

सन मगरमच्छ
2016 454
2017 562
2018 613
2019 706
2020 710
2021 882
2022 873
2023 878


एक नजर में जानें चंबल सेंचुरी प्रोजेक्ट :सन 1979 में चंबल नदी को नेशनल सेंचुरी घोषित किया गया था, सन 1981 से चंबल नदी में घड़ियाल संरक्षण प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई, सन 2008 से चंबल में घड़ियाल और मगरमच्छ की प्राकृतिक हैचिंग शुरू हुई, 635 वर्ग किमी. क्षेत्रफल तक यूपी में चंबल सेंचुरी प्रोजेक्ट फैला हुआ है. मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में नेशनल चंबल सेंचुरी प्रोजेक्ट है.

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