आगरा :जिले के पंचकुइयां स्थित राजकीय बाल गृह की अधीक्षिका का बच्चों के साथ मारपीट करने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. अधीक्षिका ने एक बच्चे को चप्पलों से पीटा, जबकि दूसरे को थप्पड़ लगाए. मामले की शिकायत खुद राजकीय बाल गृह के आउटसोर्सिंग स्टाफ ने डीएम से की है. अधीक्षिका के ऊपर कई संगीन आरोप लगाए गए हैं. यह मामला पूरे शहर में सुर्खियों में है. मामले की जांच की आदेश दिए गए हैं.
कर्मचारियों ने डीएम से की शिकायत :मंगलवार को राजकीय बाल गृह में आउटसोर्सिंग पर काम करने वाली कविता कर्दम, बेबी, दीपाली (आया) और सुनीता (रसोइया) जिला मुख्यालय स्थित डीएम कार्यलय में शिकायत करने पहुंचीं. उन्होंने बताया कि राजकीय बाल गृह की अधीक्षिका बाल गृह में निरुद्ध बच्चों के साथ अमानवीय व्यवहार करती हैं. मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों को घंटों रस्सी से बांधकर रखती हैं. कई बच्चे ऐसी तालिबानी सजा के कारण बेहोश भी हो जाते हैं. अधीक्षिका के कारण बच्चे डरे और सहमे रहते हैं. मारपीट से जुड़े साक्ष्य भी स्टाफ ने डीएम को सौंपे हैं.
अधीक्षिका का विवादों से पुराना नाता :सीसीटीवी वीडियो बीते 4 सितंबर का है. शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया कि बीते साल 5 सितंबर 2022 को अधीक्षिका के रवैये से तंग आकर उन्होंने जिला प्रोबेशन अधिकारी और निदेशक महिला कल्याण विभाग को लिखित रूप से शिकायत की थी. महिला कल्याण विभाग द्वारा जिला प्रोबेशन अधिकारी मनोज कुमार को जांच सौंपी गई थी. जांच में अधीक्षिका दोषी पाई गई. 22 दिसंबर 2022 को आरोपी को बाल गृह के प्रभार से हटाकर जिला प्रोबेशन अधिकारी के कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया था. अधीक्षिका 8 माह बाद पुनः बाल गृह प्रभारी बनकर लौट आई. अब बदले की भावना से स्टाफ के साथ बदसलूकी करने के साथ जाति-सूचक शब्दों का प्रयोग कर उन्हें अपमानित करती हैं. कई कर्मियों को बिना कारण बताए निकाल दिया गया. नौकरी पर रखने के लिए वह पैसे की मांग करती है.
बीमार बच्चों को नहीं भेजा जाता हायर सेंटर :आउटसोर्सिंग स्टाफ की महिलाओं ने बताया कि बाल गृह में गंभीर रूप से बीमार बच्चों को रोज एसएन अस्पताल इलाज के लिए लेकर जाना पड़ता हैं. बच्चे कई-कई दिन अस्पताल में भर्ती रहते हैं. उन्हें जान बूझकर हायर सेंटर नहीं भेजा जाता. अधीक्षिका अपने निजी कमरे में सभी ऐशो-आराम की चीजों का इस्तेमाल करती हैं, लेकिन बच्चों से नौकरों की तरह व्यवहार करती हैं. स्टाफ और बच्चों से जबरन निजी काम कराती हैं. बच्चे बाल गृह में झाड़ू-पोछा, बर्तन साफ करते हैं. उनकी शिक्षा से बाल गृह अधीक्षिका का कोई सरोकार नही है.