आगराः कोरोना संक्रमित मरीजों के उपचार करने वाले डॉक्टर्स अवसाद (Depression) में आ गए थे. ये वे डॉक्टर्स थे, जिन्होंने कोविड हॉस्पिटल्स और लैब में सेवाएं दीं. ड्यूटी से जहां चिकित्सक कोरोना संक्रमित हुए और अपनों के बेहतर स्वास्थ्य की चिंता में अवसाद में आ गए. एसएन मेडिकल कॉलेज की रिसर्च में 16 प्रतिशत डाॅक्टर्स ने मनोचिकित्सक से परामर्श और उपचार भी करवाया. एसएन मेडिकल कॉलेज ने 250 डॉक्टर्स पर यह रिसर्च की गई है. रिसर्च में यह भी सामने आया कि, 50 प्रतिशत डॉक्टर्स को अपनों की चिंता ने मनोरोगी बना दिया.
रिसर्च में आगरा, कानपुर और लखनऊ के डॉक्टर्स शामिल
एसएन मेडिकल कॉलेज के मनोचिकित्सा विभाग के हेड डॉ. आशुतोष कुमार गुप्ता और उनकी टीम ने ऑनलाइन रिसर्च की थी. यह रिसर्च मार्च-2020 से जनवरी-2021 तक कोविड हॉस्पिटल्स और लैब में ड्यूटी करने वाले चिकित्सकों पर की गई है. जिसमें 250 डॉक्टर्स शामिल हुए. यह डॉक्टर्स एसएन मेडिकल कॉलेज, कानपुर मेडिकल कॉलेज और केजीएमयू लखनऊ में कार्यरत हैं.
तीन से छः माह तक चला उपचार
एसएन मेडिकल कॉलेज के मनोचिकित्सा विभाग के हेड डॉ. आशुतोष कुमार गुप्ता ने बताया कि, कोविड हॉस्पिटल और कोरोना की जांच करने वाले डॉक्टर्स पर रिसर्च की है. रिसर्च के मुताबिक, कोविड हॉस्पिटल्स और कोरोना सैम्पल की जांच करने वाली लैब में ड्यूटी देने वाले 15. 3 प्रतिशत डॉक्टर्स तनाव में आ गए थे. तनाव और मानसिक अवसाद के चलते डॉक्टर्स को मनोचिकित्सक से परामर्श और उपचार भी कराना पड़ा था. उपचार और काउंसलिंग तीन से छह माह तक चला. उसके बाद डॉक्टर्स ठीक हुए.
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अपनों की चिंता से बने मनोरोगी