आगरा: कोरोना कैपिटल बनी ताजनगरी में दहशत और डर के बीच एसएन मेडिकल कॉलेज के स्त्री और प्रसूति रोग विशेषज्ञों ने प्रदेश में एक सराहनीय रिकॉर्ड बनाया है. यहां चिकित्सकों की सूझबूझ से खतरे की कोख से स्वस्थ नवजात की किलकारी गूंजी है.
कोरोना पॉजिटिव की कोख निगेटिव, दहशत और डर के बीच गूंजी किलकारियां - 22 महिलाओं की सिजेरियन
उत्तर प्रदेश के आगरा जिले स्थित एसएन मेडिकल कॉलेज के स्त्री और प्रसूति रोग विशेषज्ञों ने कई प्रसूताओं की डिलेवरी कराई जोकि कोरोना पॉजिटिव थी. हालांकि इनके जन्मे बच्चे स्वस्थ पैदा हुए.
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एसएन मेडिकल कॉलेज में कोरोना पॉजिटिव 35 गर्भवती का सफल उपचार किया गया, जिसमें से कोरोना पॉजिटिव 22 गर्भवती की चिकित्सकों ने सिजेरियन या नार्मल डिलेवरी की. प्रदेश में सबसे ज्यादा कोविड-19 की डिलेवरी का यह रिकॉर्ड है. डिलेवरी वाली कोरोना संक्रमित सभी प्रसूताएं अब स्वस्थ हैं. इतना ही नहीं, उनके नवजात शिशु की कोरोना की रिपोर्ट भी नेगेटिव है. सावधानी बरतकर कराए गए प्रसव से जहां नवजात शिशु कोरोना से दूर रहे तो वहीं चिकित्सकों का भी आत्मविश्वास बढ़ा है. दूसरी ओर स्वस्थ नवजात से माता-पिता भी काफी खुश हैं.
आगरा में कोरोना संक्रमितों की संख्या 882 हो गई है जबकि, यहां पर 38 कोरोना पॉजिटिव की मौत भी हो चुकी है. जिले में कोरोना संक्रमण की दर कम हुई है, लेकिन खतरा अभी भी बरकरार है. ऐसे में कोरोना संक्रमित गर्भवती महिलाओं के सिजेरियन या नार्मल प्रसव से पैदा हुए कोरोना नेगेटिव नवजात शिशु खुशी की अनुभूति करा रहे हैं. एक कोरोना संक्रमित महिला ने जुड़वा बच्चों को भी जन्म दिया है. एसएन मेडिकल कॉलेज में 22 सिजेरियनएसएन मेडिकल कॉलेज की स्त्री रोग विभागाध्यक्ष डॉ. सरोज सिंह ने बताया कि एसएन मेडिकल कॉलेज और लेडी लॉयल महिला चिकित्सालय में अब तक कोरोना पॉजिटिव 35 गर्भवती महिलाएं भर्ती हुई. इनमें से 22 महिलाओं की सिजेरियन और नॉर्मल डिलीवरी कराई गई है. बता दें कि दो गर्भवती गंभीर थीं और एक पीलिया से पीड़ित थी. फिलहाल सभी महिलाएं और उनके बच्चे स्वस्थ हैं. प्रो. डॉ. रिचा सिंह ने बताया कोरोना संक्रमित गर्भवती की सिजेरियन या नार्मल डिलेवरी के समय ओटी में सभी पीपीई किट पहनते हैं. दो मास्क लगाते हैं और अन्य प्रोटेक्टिव उपकरण से लैस होते हैं. ओटी का डिलीवरी से पहले और डिलीवरी के बाद में सैनिटाइजेशन किया जाता है. गर्भवती मास्क और किट में ओटी में आएगा. सिजेरियन डिलीवरी में जो उपकरण उपयोग हुए हैं, उन्हें ब्लीच में डाला जाता है. जैसे वे पहले एड्स और हेपेटाइटिस की गर्भवती की डिलेवरी के दौरान करते थे. इसके लिए सभी उपकरण अलग हैं. यूपी में कोविड-19 पेशेंट की डिलेवरीप्रोफेसर डॉ. शिखा सिंह ने बताया कि यूपी में कोविड-19 पेशेंट का पहला सिजेरियन एसएन मेडिकल कॉलेज में 20 अप्रैल को किया गया था. अब तक यहां पर प्रदेश में सबसे ज्यादा सिजेरियन डिलेवरी जो कि 22 है और एक नॉर्मल डिलीवरी और एक कॉम्प्लिकेटेड डिलीवरी भी कराई गई है. डिलेवरी टीम में तीन स्त्री और प्रसूति रोग विशेषज्ञ, एक नवजात शिशु और बाल रोग विशेषज्ञ और जूनियर रेजीमेंट होते हैं. सभी नवजात शिशु की कोरोना रिपोर्ट नेगेटिवप्रो. डॉ. निधि गुप्ता ने बताया कि एस एन मेडिकल और लेडी लॉयल महिला चिकित्सालय में कोविड-19 पेशेंट की नार्मल या सिजेरियन डिलीवरी के बाद नवजात शिशु की 48 घंटे में कोविड-19 की जांच कराई जाती है जो अभी तक सभी नवजात शिशु की रिपोर्ट निगेटिव आई है. इस दौरान एक बड़ी सावधानी बरती जाती है. डिलीवरी के बाद नवजात शिशु को मां से सेपरेट कर देते हैं, जिससे मां की सांस या संपर्क से नवजात शिशु संक्रमित न हो.कोरोना काल में एसएन मेडिकल कॉलेज के स्त्री और प्रसूति रोग विशेषज्ञ ने प्रदेश में अलग ही मुकाम बनाया है. चिकित्सकों ने कोरोना संक्रमित गर्भवती की सिजेरियन या नॉर्मल डिलेवरी के दौरान विशेष सावधानी बरती. डिलेवरी के बाद नवजात को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए सैनिटाइज करके कपड़ों में रखकर प्रसूता के परिजनों को सौंपा गया, जिससे खतरे की कोख से स्वस्थ नवजात की किलकारी गूंजी. इस बेहतरीन कार्य के लिए एसएन मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों की सराहना प्रदेश भर में हो रही है.