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यूपी में कोरोना मरीजों की मृत्यु दर में आई कमी: चिकित्सा शिक्षा मंत्री

उत्तर प्रदेश सरकार के चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना बुधवार दोपहर आगरा पहुंचे. इस दौरान उन्होंने सर्किट हाउस में कोविड-19 की सुविधाओं को लेकर स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ बैठक की.

मंत्री सुरेश खन्ना.
मंत्री सुरेश खन्ना.

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Published : Dec 9, 2020, 7:29 PM IST

आगरा:उत्तर प्रदेश सरकार के संसदीय कार्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना बुधवार दोपहर आगरा पहुंचे. जहां उन्होंने स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ सर्किट हाउस में बैठक की. इस दौरान जनपद में कोविड-19 मरीजों के इलाज के लिए मौजूद सुविधाओं और चिकित्सा व्यवस्था पर चर्चा के साथ सर्दी में कोरोना संक्रमण के बढ़ते ग्राफ को लेकर अधिकारियों को सतर्क रहने और सैंपलिंग बढ़ाने के निर्देश दिए गए.

जानकारी देते मंत्री सुरेश खन्ना.

इस मौके पर मीडिया से बातचीत करते हुए मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि किसानों को भ्रमित किया जा रहा है. कांग्रेस ने 2019 के अपने घोषणा पत्र में भी नए कृषि कानून के प्रारूप को जगह दी थी तो अब आंदोलन करने का सवाल नहीं उठता. नए कृषि कानून पर अब सिर्फ राजनीति हो रही है.

कोरोना संक्रमण को लेकर किया मंथन
आगरा में कोरोना संक्रमण की रफ्तार में अब कमी आई है. कोरोना संक्रमण रोकने और एसएन मेडिकल कालेज की व्यवस्था की समीक्षा करने चिकित्सा मंत्री सुरेश खन्ना आगरा आए. सर्किट हाउस में चिकित्सा मंत्री ने एसएनएमसी के प्राचार्य, चिकित्सक, स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रसाशन के साथ समीक्षा बैठक की. जिसमें चिकित्सा मंत्री सुरेश खन्ना ने कोरोना संक्रमण को लेकर मंथन किया.

चिकित्सा मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि आगरा में कोरोना संक्रमण पर लगाम लगी हुई है. यहां पर मृत्यु दर कम है. रिकवरी रेट भी ज्यादा है. अगर, यूपी की बात की जाए तो यहां कोरोना संक्रमण पर खूब काम किया है. उत्तर प्रदेश में कोरोना रिकवरी रेट 94.8% पहुंच गया है. प्रदेश में कोरोना की मृत्यु दर 1.43% है. जबकि, देश की मृत्यु दर 1.45 % है. हर प्रकार से कोरोना के फैलाव को हमने रोका है.

किसान आंदोलन पर मंत्री का बयान
चिकित्सा मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि किसानों को भ्रम में डाला जा रहा है. जो लोग पहले इस कृषि कानून का समर्थन कर चुके हैं. कांग्रेसी को लोग अपने घोषणापत्र को देख लें. सन 2019 के लोकसभा चुनाव के घोषणा पत्र में कांग्रेस ने कृषि कानून को लेकर के बात कही थी. कांग्रेस अपने घोषणा पत्र को देख लें. उसके पैराग्राफ में उन्होंने इसी की मांग की थी. आज उसका विरोध कर रहे हैं. अब राजनीति के अलावा उनके पास कोई भी चारा नहीं है. जनता ने उन्हें नकार दिया है. सरकार पीएम मोदी खुद कह चुके हैं कि हम इसे वापस लेने नहीं जा रहे हैं. यह कानून किसानों के हित में है.

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