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गोरखपुर में सीएम योगी भगवान कृष्ण को झुलाएंगे झूला

यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ गोरखपुर दौरे पर हैं. वह इस दौरान भगवान कृष्ण को जन्माष्टमी के अवसर पर झूला भी झुलाएंगे. मंदिर में होने वाला कार्यक्रम भी इस वर्ष सीमित रहेगा.

सीएम योगी भगवान कृष्ण को झुलाएंगे झूला
सीएम योगी भगवान कृष्ण को झुलाएंगे झूला

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Published : Aug 11, 2020, 12:45 PM IST

गोरखपुर: गोरखनाथ मंदिर में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के आयोजन की परंपरा काफी पुरानी है. मंदिर के अंदर स्थापित राधा-कृष्ण के मंदिर में इस अवसर पर जहां दो दिन पूर्व से ही भजन-कीर्तन और हरे रामा-हरे कृष्ण की धुन लोगों के द्वारा गाई जाती है. सीएम योगी बतौर गोरक्ष पीठाधीश्वर रात में आयोजित होने वाले जन्मोत्सव कार्यक्रम में शिरकत करते हैं और भगवान कृष्ण का पालना खुद ही झुलाते हैं. वह आज इस कार्यक्रम में शामिल होंगे. लेकिन इस दौरान नियंत्रित लोग होंगे और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन होगा. यहां तक कि मीडिया को भी भीड़ से बचने की सलाह मंदिर प्रबंधन ने दी है.

गोरखनाथ मंदिर में भजन कीर्तन गाते पुलिस के जवान.
गोरखपुर में यह आयोजन बाकी मंदिरों में भी बड़े ही सीमित ढंग से होगा. लोग बरसों से चली आ रही परंपरा को निभाएंगे. ऐसी ही परंपरा का निर्वाह गोरखनाथ पीठ भी कर रहा है. पूरे मंदिर की साफ-सफाई चल रही है. मंदिर को बिजली की झालर से सजा दिया गया है जो रात के समय में अद्भुत नजारा पेश करेगी. हालांकि इस दौरान राधा कृष्ण के मंदिर में जो भजन गाया जा रहा है उससे एक अलग ही आनंद का वातावरण पूरे मंदिर परिसर में गूंज रहा है.
सीएम योगी भगवान कृष्ण को झुलाएंगे झूला.

ईटीवी भारत के कैमरे में इस दौरान एक अद्भुत नजारा कैद हुआ, जब भगवान कृष्ण की भक्ति में भजन कीर्तन के लिए डूबे हुए खाकी वर्दी के दो जवान दिखाई दिए. हाथ में झाल और गले में स्वर की तान इन्हें अपने मूल कर्तव्य के साथ भगवान की भक्ति की ओर खींच ही ले आई. बातों-बातों में इन्होंने कहा कि भगवान में श्रद्धा थी, इसलिए गाने बैठ गया. वहीं मंदिर में होने वाले कार्यक्रम की पूरी जानकारी मंदिर के सचिव द्वारका तिवारी ने दी. उन्होंने कहा कि सीएम योगी के हाथों सभी कार्यक्रम संपन्न होगा, लेकिन प्रतिवर्ष होने वाले बच्चों की बाल लीला और पुरस्कार वितरण का कार्यक्रम कोरोना की महामारी की वजह से रद्द रहेगा.

निश्चित रूप से कृष्ण जन्मोत्सव बड़े से लेकर बुजुर्ग और बच्चों को आनंद देने का एक ऐसा पर्व है, जिसमें लोग डूब ही जाते हैं. सुबह से सजावट, गायन और वादन के बीच मटकी फोड़ प्रतियोगिता के साथ रात में प्रभु जन्म लेते हैं. इस दौरान महिलाएं जब सोहर और भजन गाना शुरू करती हैं तो माहौल गजब का बन पड़ता है, जिसकी कमी इस वर्ष खल रही है. कोरोना की महामारी ने इस पूरे आयोजन पर बड़ा असर डाला है. यही वजह है कि लोग अपनी परंपरा का निर्वाह तो करेंगे, लेकिन मन के अंदर से उल्लास और उमंग गायब होगा. क्योंकि इस आयोजन में न तो उत्साही लोग होंगे और न ही बजने वाली तालियां और स्वर होंगे.

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