आगरा:जिला मुख्यालय से 85 किलोमीटर दूर यमुना किनारे बटेश्वरधाम है. गौरतलब है कि यहां यमुना भी उलटी बहती है. जिसके किनारे भदावर राजघराने के बनवाए 101 मंदिरों की श्रृंखला है. सभी तीर्थो के भानजा बाबा बटेश्वरधाम की ख्याति और मान्यता दूर-दूर तक है. देशभर से यहां पर लोग पूजा और अर्चना करते आते हैं. चंबल के बागी और डकैत भी 'बाबा बटेश्वरनाथ' पर अटूट आस्था रखते थे. यही वजह थी कि चंबल के बागी और डकैत अपनी मन्नत पूरी होने पर बाबा बटेश्वरनाथ के दरबार में घंटा भी चढ़ाते थे. अभी भी यहां पर डाकू मानसिंह का घंटा बचा है. बाकी के तमाम डाकू और बागियों के घंटे यमुना में आई बाढ़ में बह गए.
जानकारी देते श्रद्धालु और पुजारी. बटेश्वरधाम में पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेई, बिहार के सीएम नितिश कुमार, सीएम योगी, पूर्व सीएम अखिलेश यादव समेत अन्य वीवीआईपी पूर्जा-अर्चना कर चुके हैं. सावन में यहां पर श्रद्धालुओं का हर दिन तांता लगा रहता है.
बटेश्वरधाम है ब्रज की काशी
बटेश्वरनाथ मंदिर के पुजारी अशोक गोस्वामी ने बताया कि, बाबा बटेश्वरधाम को सभी तीर्थ का भांजा है. वो काशी है तो बाबा बटेश्वरधाम ब्रज की काशी है. यहां पर भगवान शिव ने राजा भदावर के यहां पर लड़की से लड़का किया है. इसके बाद राजाओं ने यहां पर 101 मंदिर यमुना किनारे हैं. यहां पर यमुना मैया उलटी बहती है. यहां की मान्यता है कि जिन माता और बहन की बहनें यहां पर उलटा स्वास्तिक बनाती है. जब उनके यहां पर संतान होती है. बाबा बटेश्वरनाथ सभी की मनोकामना पूरी करते हैं. इसलिए यहां देशभर से श्रद्धालु आते हैं.
सभी की पूरी होती है मनोकामना
श्रद्धालु उपेंद्र सिंह राठौर ने बताया कि, बाबा बटेश्वरनाथ सभी की मनोकामना पूर्ण करते हैं. भोले बाबा में विश्वास है. श्रद्धालुओं की मन्नत पूरी होती है. इसलिए दूर-दूर से यहां श्रद्धालु आते हैं. आगरा की रहनेवाली श्रद्धालु सरोज बताती हैं कि सावन के महीने में बाबा के दरबार में पूजा-अर्चना करने आ रहे हैं. भोले बाबा सभी की मनोकामना पूरी करते हैं.
डाकू मानसिंह का बचा है घंटा
पुजारी जगमोहन बताते हैं कि सबसे पहले डाकू मानसिंह यहां पर आए. उनका 35 लोगों का दल था. उनकी मन्नौती पूरी हुई तो उन्होंने यहां पर घंटा चढ़ाया. इसके बाद रूप सिंह, लोकमन, चरण सिंह, महावीर, अतर सिंह, हेत सिह, भोगी, हीरालाल, नत्थी, मौहर सिंह, माधोसिंह भी आए. यहां पर उन्होंने पूजा की. यहां पर अभी एक घंटा बचा है. बाकी घंटे यमुना की बाढ़ में बह गए. सन 1978 में आई बाढ़ आई थी. 3 दिन तक यहां पर हैलीकॉप्टर से खाना आया था. तब बटेश्वरनाथ मंदिर की दीवार टूट गई. मंदिर परिसर में लगे पीपल और अन्य पेड़ भी बह गए. जिन पर ही बागी, डकैत और श्रद्धालुओं के घंटे थे. जो बह गए.
अटल का पैतृक गांव है बटेश्वर
देश के पूर्व पीएम भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई का पैतृक गांव बटेश्वर है. यहां पर उनका बाल्यकाल बीता था. जब अटल जी पीएम बने थे तो आगरा आए थे. तभी बटेश्वर की जनता को रेल की सौगात मिली थी. अटल जी ने कई बार बाबा बटेश्वरधाम में पूजा अर्चना की. इसके साथ ही उनके समय पर रेल मंत्री रहे और हाल में बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार, यूपी के सीएम योगी, पूर्व सीएम अखिलेश यादव, पूर्व सीएम मुलायम सिंह समेत अन्य वीवीआईपी भी बाबा बटेश्वरनाथ के दरवार में माथा टेकने के साथ ही पूजा अर्चना कर चुके हैं.
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