आगरा: कैंसर का नाम सुनते ही इंसान के चेहरे का रंग उड़ जाता है. लोग कैंसर को मौत का दूसरा नाम समझते हैं क्योंकि लोगों का मानना है कि इसका इलाज संभव नहीं हैं, लेकिन एसएन मेडिकल कॉलेज का कैंसर रोग विभाग इन सभी बातों को गलत साबित करने के प्रयास में है.
डॉक्टरों की मानें तो सही समय पर इलाज कराने से कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से भी लड़ा जा सकता है. लोग अगर इसके लक्षणों पर ध्यान देते हुए समय पर इसका इलाज करा लें तो यह खतरनाक रूप नहीं ले पाती है और इससे जंग जीतना आसान होता है. एसएन मेडिकल कॉलेज का कैंसर रोग विभाग जिले में आने वाले कैंसर रोगियों की पीड़ा दूर कर रहा है. मरीजों को दवा से काफी फायदा हो रहा है, जिससे उनका दर्द कम हो रहा है.
सर्वाइवल कर रहे कैंसर रोगियों को मोटिवेट
इस सावधानी और इलाज से कई लोग कैंसर से छुटकारा पा चुके हैं. अब तो कैंसर के सर्वाइवल कैंसर रोगियों को हिम्मत दे रहे हैं साथ ही उन्हें इस बीमारी से लड़ने के लिए मोटिवेट कर रहे हैं. एसएन मेडिकल कॉलेज के कैंसर रोग विभाग की प्रो. सुरभि गुप्ता ने बताया कि कैंसर के जिन मरीजों ने मेडिकल कॉलेज से उपचार लिया और वे ठीक हो गए अब वही कैंसर सर्वाइवल दूसरे कैंसर मरीजों को मोटिवेट कर रहे हैं. समय रहते उन्हें हॉस्पिटल लेकर आ रहे हैं और उनसे अपने अनुभव भी साझा कर रहे हैं. इससे कैंसर के मरीजों को जहां हिम्मत मिल रही है, वहीं उनका हौसला भी बंध रहा है.
सर्वाइवल कर रहे जागरूक
कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. शशिभूषण उपाध्याय ने बताया कि लोगों को अभी सही जानकारी नहीं है कि कहां पर कैंसर का उचित उपचार होता है. कई मरीज आए और एसएन मेडिकल कॉलेज के कैंसर रोग विभाग में उपचार कराने के बाद ठीक हो गए. अब जब उन मरीजों को अपने आसपास या किसी परिचित में कैंसर के लक्षण दिखाई देते हैं तो वे दूसरे मरीजों को जागरूक करते हैं और उपचार कराने के लिए एसएन मेडिकल कॉलेज लेकर के आते हैं.
हर साल बढ़ रहा है आंकड़ा
एसएन मेडिकल कॉलेज के कैंसर रोग विभाग की प्रो. सुरभि गुप्ता ने बताया कि हर साल कैंसर के रोगियों का आंकड़ा बढ़ रहा है. आंकड़ों को देखें तो हर साल पिछले साल से 100 ज्यादा कैंसर के रोगी आ रहे हैं. इसकी वजह यह है कि कैंसर के मरीजों की संख्या तो बढ़ी है और लोगों में जागरूकता भी बढ़ी है और इसीलिए वह समय रहते उपचार कराने के लिए आ रहे हैं. पहले ऐसा नहीं होता था. कैंसर का पता चलने के बाद लोग घर पर ही निराश हो कर के बैठ जाते थे. अब लोग जरा सी भी लक्षण दिखने पर तुरंत जांच कराने के लिए आते हैं.