आगरा:ताजनगरी के गांव गुतिला में बॉक्सिंग का जोश और जुनून देखने को मिल रहा है. इस गांव के खेत में बॉक्सिंग एकेडमी चलती है. इसमें करीब 35 से 45 किशोर, किशोरियां बेहतर भविष्य के दांव-पेच के साथ जीत का पंच लगाना सीख रहे हैं. इस नर्सरी में ट्रेनिंग लेने के लिए सभी युवा 25 से 30 किलोमीटर की दूरी से आते हैं. इससे पता चलता है कि युवा किस तरह से बॉक्सिंग को लेकर काफी उत्साहित है. ओलंपिक में खिलाड़ियों के पदक जीतने और सरकारी नौकरी में बॉक्सर्स को तवज्जों मिलने से आगरा के युवाओं क्रेज बढ़ा है. ईटीवी भारत की की टीम ने ऐसे युवाओं से खास बातचीत की है. उन्होंने बताया है कि किस तरह देश के लिए मेडल जीतने के चलते रिंग में पसीना बहा रहे हैं.
आगरा जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर शमशाबाद रोड स्थित गांव गुतिला है. जहां खेतों में कोच राहुल सिंह जादौन बॉक्सिंग एकेडमी चला रहे हैं. राहुल सिंह बॉक्सिंग के एनआईएस कोच हैं. इन्हें दो दशक से ज्यादा का अनुभव भी है. उनकी एकेडमी में बॉक्सिंग की एबीसीडी सीखकर बॉक्सर ताजनगरी, माता पिता और राहुल सिंह जादौन का नाम रोशन कर रहे हैं.
मेडल जीतने के लिए रिंग में बहा रहे पसीना:बॉक्सर योगेश लोधी ने बताया कि अभी वह यूथ नेशनल खेलने गए थे, वहां उन्होंने बेहतरीन प्रदर्शन किया था. लेकिन, एक प्वॉइंट की वजह से मेडल से चूक गए. इस बार वह सीनियर में मेडल के लिए मेहनत कर रहे हैं. वहीं, बॉक्सर यश तिवारी का कहना है कि, इस बार वह नेशनल में मेडल जीतकर आएंगे. उन्हें बॉक्सिंग का शौक बचपन में अपने दोस्तों को देखकर लगा था और दोस्तों के साथ खेलते-खेलते शौक एक लक्ष्य में बदल गया. बॉक्सर हरवीर धाकरे ने बताया कि उनका लक्ष्य एक अच्छा बॉक्सर बनना है. वह इंटरनेशनल बॉक्सर बनने के लिए रिंग में पसीना बहा रहे हैं. इससे ग्रामीणों को भी एक प्रेरणा मिलेगी कि खेल से भी नाम रोशन किया जा सकता है.
बॉक्सिंग से मिली पुलिस में नौकरी:पुलिस में नौकरी कर रही बॉक्सर प्रवीता सिंह ने बताया कि उन्होंने भी कोच राहुल सिंह जादौन से बॉक्सिंग की ट्रेनिंग ली थी. उसके बाद उन्होंने प्रदेश और नेशनल स्तर पर गोल्ड मेडल भी जीता. उसी के आधार पर उन्हें पुलिस में नौकरी मिल गई. इसके साथ ही उन्होंने इंडिया कैंप भी किया है और प्रवीता सिंह उत्तर प्रदेश पुलिस की तरफ से मेडल भी जीत रहीं हैं. फिलहाल वह अब एनआईएस कोच बनने के लिए तैयारी में जुट गई हैं.