आगरा:सपा मुखिया व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के खिलाफ करहल से भाजपा प्रत्याशी व केंद्रीय राज्यमंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल अपने जाति प्रमाणपत्र को लेकर एक बार फिर से विवादों में हैं. आगरा के एक अधिवक्ता की शिकायत पर स्पेशल जज (एमपी-एमएलए) कोर्ट में प्रकीर्ण वाद दर्ज हुआ है. अब इस मामले की सुनवाई 18 फरवरी को होगी. पहले भी केंद्रीय राज्यमंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल की जाति का मामला टूंडला से बसपा विधायक रहे राकेश बाबू ने उठाया था और ये मामला हाईकोर्ट तक गया था. मगर, वहां से केंद्रीय राज्यमंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल को राहत मिल गई थी.
बता दें कि आगरा के अधिवक्ता सुरेश चंद सोनी ने स्पेशल जज (एमपी-एमएलए) कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था. जिसमें मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरे भाजपा उम्मीदवार व केंद्रीय राज्यमंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल के जाति प्रमाणपत्र पर सवाल उठाए गए हैं.
भाजपा प्रत्याशी प्रो. एसपी सिंह बघेल के खिलाफ शिकायत इसे भी पढ़ें - यूपी के सियासी संग्राम में कहीं पति-पत्नी तो कहीं मां-बेटा लड़ रहे चुनाव
अधिवक्ता सुरेश चंद सोनी ने प्रार्थना पत्र जरिए कोर्ट को अवगत कराया कि केंद्रीय राज्यमंत्री एसपी सिंह बघेल ने विधानसभा चुनाव में मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट से नामांकन किया है. वे भाजपा के पिछड़ा वर्ग मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं. केंद्रीय राज्यमंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल के मध्य प्रदेश के शैक्षिक प्रमाण पत्रों में उनकी जाति ठाकुर दर्ज है. फिर वे उत्तर प्रदेश में आकर अन्य पिछड़ी जाति का बन गए और पुलिस विभाग में नौकरी प्राप्त कर ली.
मगर, साल 1998 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की टिकट पर जलेसर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से अन्य पिछड़ी जाति बघेल के रूप में नामांकन प्रस्तुत किया. चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे. मगर फिर साल 2017 के विधानसभा चुनाव में सुरक्षित टूंडला विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी बने. नामांकन पत्र और दस्तावेजों में उन्होंने खुद को अनुसूचित जाति (धनगर) का दर्शाया. चुनाव जीते और योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बने थे.
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