आगरा:आगरा क्रांतिकारियों का गढ़ रहा था. साल 1857 के गदर में झांसी में रानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों की नाक में दम किए थीं तो मेरठ में सैनिकों ने विद्रोह कर दिया. आगरा में भी असंतोष गहराया तो आगरा किला का प्रभारी व लेफ्टिनेंट जनरल जॉन रसेल कॉल्विन घबराया गया. क्रांतिकारियों की रणनीति और बुलंद हौसले से जॉन रसेल कॉल्विन अवसाद में चला गया. उसकी मानसिक संतुलन बिगड़ गई. वह मनोरोगी (पागल) हो गया था. तभी जॉन रसेल कॉल्विन हैजा भी हो गया. मनोरोग और हैजा के चलते उसकी मौत हो गई. मगर, घबराए अंग्रेजी हुकूमत के अधिकारियों ने आगरा किला में ही जॉन रसेल कॉल्विन को दफना दिया था. उसकी कब्र आज भी आगरा किला में दीवान-ए-आम के सामने मौजूद है.
जानें कौन था जॉन रसेल कॉल्विन ?
जॉन रसेल कोल्विन अंग्रेजी अफसर था. उसका जन्म 29 मई 1807 को कलकत्ता में हुआ था. उस समय कलकत्ता बंगाल प्रेसीडेंसी का हिस्सा था. कॉल्विन का परिवार एक प्रमुख एंग्लो इंडियन स्कॉटिश मूल का था. जॉन रसेल कॉल्विन की शिक्षा ईस्ट इंडिया कंपनी कॉलेज में हर्टफोर्डशायर इंग्लैंड में हुई और साल 1826 को उसने अपनी सेवा ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी में शुरू की. वह सन 1836 से 1837 तक प्रथम आंग्ल अफगान युद्ध के समय लॉर्ड ऑकलैंड के निजी सचिव और साल 1846 से 1849 से कॉल्विन को आयुक्त बनाया गया.
झांसी और मेरठ में विद्रोह से घबराए अंग्रेजी अफसर व सैनिक
लॉर्ड डलहौजी ने साल 1853 में जॉन रसेल कॉल्विन को भारत के उत्तर पश्चिम प्रांतों का लेफ्टिनेंट गवर्नर नियुक्त किया. उत्तर पश्चिम प्रांतों का मुख्यालय आगरा था. जहां पर लेफ्टिनेंट गवर्नर जॉन रसेल कॉल्विन से ब्रिटिश हुकूमत कंट्रोल करता था. मगर, जॉन रसेल कॉल्विन के समय ही सन 1857 का गदर शुरू हो गया. जिसका केंद्र बिंदु आगरा से एक ओर झांसी और दूसरी ओर मेरठ में था. जिससे जॉन रसेल कॉल्विन के उपर बहुत दबाव था. झांसी और मेरठ में क्रांति के साथ ही आगरा में भी असंतोष फैल गया. जिससे लेफ्टिनेंट गवर्नर ने अंग्रेजी अफसरों के परिवार को आगरा किला में बुला लिया. क्रांतिकारियों के बडते दबाव से लेफ्टिनेंट गवर्नर जॉन रसेल केल्विन अपना मानसिक संतुलन खो बैठा. क्योंकि, झांसी में रानी लक्ष्मीबाई तो मेरठ में सैनिक ही विद्रोह कर चुके थे. जिससे क्रांतिकारियों की अंग्रेजी हुकूमत से सीधी भिडंत हो रही थी. तब आगरा किला में पर्याप्त पुलिस बल भी नहीं था.