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Published : Dec 28, 2022, 8:37 PM IST

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शस्त्र लाइसेंस की चाहत मगर मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय में भर्ती लिए बहानेबाजी

मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय में शस्त्र लाइसेंस बनवाने आवेदक पहुंचने लगे है. मनोरोग विशेषज्ञों का कहना है कि लोग शस्त्र लाइसेंस लेने को चाहते है, लेकिन यहां भर्ती नहीं होना चाहते है.

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मामले के बारे में जानकारी देते मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय अधीक्षक डॉ दिनेश सिंह राठौर

आगरा: यूपी में शस्त्र लाइसेंस के लिए तमाम औपचारिकताएं और कई दतावेज अनिवार्य हैं. जिसमें सबसे अहम शस्त्र लाइसेंस बनवाने वाले व्यक्ति के मेंटली फिट का प्रमाण पत्र है. जो मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय के विशेषज्ञों टीम जारी करती है. इसे प्रमाण पत्र के लिए लोग मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय तक पहुंच तो जाते हैं, लेकिन वहां भर्ती नहीं होना चाहते हैं.

बता दें कि यूपी सरकार ने सन 2018 में शस्त्र लाइसेंस बनवाने वाले व्यक्ति का मेंटली फिटनेस सर्टिफिकेट की अनिवार्य किया. जो किसी भी सरकारी अस्पताल के मनोरोग विशेषज्ञों की टीम की ओर से जारी होना चाहिए. यह हाईकोर्ट के आदेश पर अनिवार्य किया गया. तभी से आगरा में मदिया कटरा स्थित मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय में शस्त्र लाइसेंस बनवाने आवेदक पहुंचने लगे हैं. क्योंकि छह माह से अधिक समय बाद तमाम आवेदकों के शस्त्र लाइसेंस के आवेदन निरस्त हो चुके हैं. इसलिए, दोबारा से प्रक्रिया में शामिल होने के लिए लोग अब दस्तावेज तैयार करके शस्त्र लाइसेंस का आवेदन कर रहे हैं.

मनोरोग विशेषज्ञ जानते हैं मनोदशा
मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय की बात करें तो मनोरोग विशेषज्ञों तक मेंटली फिटनेस प्रमाण पत्र के लिए हर दिन आगरा और आसपास के जिलों से 15 से 20 आवेदक पहुंच रहे हैं. जहां पर आवेदक के भर्ती रखने की व्यवस्था है. आवेदक को भर्ती रहना अनिवार्य है. क्योंकि, मनोरोग विशेषज्ञों की टीमें कई चरण और टेक्निक से आवेदक के मनोदशा और मेंटली फिटनेस की जांच करती हैं. फिर भी आवेदक मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय में भर्ती नहीं होने से परहेज करते हैं.

टेस्ट और टेक्निक पर बनाते हैं मेंटली फिटनेस रिपोर्ट
मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय के अधीक्षक डॉ. दिनेश राठौर ने बताया कि हाईकोर्ट के निर्देश पर यूपी सरकार ने शस्त्र लाइसेंस के लिए व्यक्ति की मानसिक स्थिति ठीक होने चाहिए. कहीं शस्त्र लाइसेंस लेने वाला व्यक्ति मंदबुद्धि या नशेबाज तो नहीं है. उसमें आवेश या गुस्से में आकर कोई प्रतिक्रिया करने की प्रवृत्ति तो नहीं है. इन सबका परीक्षण करना होता है. इसके लिए आवेदक का भर्ती होना अनिवार्य है. क्योंकि, मानसिक स्वास्थ्य के परीक्षण करने की कोई मशीन नहीं है. जिससे सैंपल लिया और हमें रिजल्ट मिल जाए. इसके लिए हमें मल्टीपल सिटिंग करनी होती हैं. जिसमें व्यक्ति से अलग-अलग मनोवैज्ञानिक बैठक बात करते हैं. मनोदशा जानने के कुछ टेस्ट होते हैं. उन्हें करते हैं. तमाम टेक्निक होतीं हैं. कम से कम दस दिन में कम से कम तीन-चार सिटिंग होती हैं. जिसमें व्यक्ति की मनोदशा या मेंटली हेल्थ का परीक्षण करके रिपोर्ट बनाते हैं. जिसे मुख्य चिकित्सा अधिकारी को भेजते हैं. मेंटली फिटनेस रिपोर्ट के आधार पर ही आवेदक को शस्त्र का लाइसेंस देने पर विचार किया जाता है.

आगरा जिले में शस्त्र लाइसेंस

  • 47616 शस्त्र लाइसेंस
  • 12548 लाइसेंसी रिवाल्वर/पिस्टल
  • 9255 लाइसेंसी रायफल
  • 14063 लाइसेंसी एसबीबीएल गन
  • 11750 लाइसेंसी डीबीबीएल गन

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