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ज्ञानवापी विवाद पर शहनवाज बयान ने कहा, 'शिवलिंग के नाम पर देश को किया जा रहा है गुमराह' - ईटीवी भारत यूपी न्यूज

ज्ञानवापी में जो पत्थर मिला है, वह शिवलिंग नहीं है. वह टूटे हुए फाउंटेन का एक हिस्सा है. इसे मैंने खुद पहले देखा था. शाहनवाज आलम ने कहा कि पीएम मोदी से एक गुजारिश है कि वे चाइना की ओर रुख करें और चाइना के कब्जे में गए कैलाश मानसरोवर को लाएं.

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अल्पसंख्यक विभाग अध्यक्ष शाहनवाज आलम

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Published : May 17, 2022, 9:42 PM IST

आगरा : उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अल्पसंख्यक विभाग अध्यक्ष शाहनवाज आलम मंगलवार को आगरा पहुंचे. इस दौरान उन्होंन प्रेस वार्ता कर ज्ञानवापी विवाद पर भाजपा की केन्द्र और यूपी सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि जानबूझकर ज्ञानवापी मस्जिद को बाबरी मस्जिद की तरह दुष्प्रचारित किया जा रहा है. ज्ञानवापी में जो पत्थर मिला है, वह शिवलिंग नहीं है. वह टूटे हुए फाउंटेन का एक हिस्सा है जिसे उन्होंने खुद पहले देखा था. शाहनवाज आलम ने कहा कि पीएम मोदी से एक गुजारिश है कि वे चाइना की ओर रुख करें. चाइना के कब्जे में गए कैलाश मानसरोवर को लाएं.

ज्ञानवापी विवाद पर शहनवाज बयान

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अल्पसंख्यक विभाग चेयरमैन शाहनवाज आलम ने कहा कि देश में पिछले 10-15 दिन से वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद को दूसरी बाबरी मस्जिद बनाने की कोशिश हो रही है. इस कोशिश के तहत बहुत सारे कंफ्यूजन भी देशभर में फैलाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि 1991 में संसद ने पूजा स्थल अधिनियम बनाया था जिसमें कहा गया था कि 15 अगस्त 1947 को जिस धार्मिक स्थल की जैसी स्थिति है वो वैसी ही रहेगी. उसमें कोई बदलाव नहीं किया जा सकता है. इससे दूसरी बात यह भी कही गई थी कि यदि कोई इसे चैलेंज करने की कोशिश करता है. उसे किसी कोर्ट या किसी ट्रिब्युनल या किसी प्राधिकार में उसे स्वीकार नहीं किया जाएगा. यहां तक कि इस अधिनियम में ऐसा करने पर 1 से 3 साल तक की सजा का प्रावधान भी है.

इस अधिनियम के बनने के बाद से देश में कभी भी फिर दूसरी बाबरी मस्जिद बनाने की स्थिति पैदा नहीं हो पाई. अब हम देख रहे हैं कि कुछ निचली अदालतें. यहां तक कि हाई कोर्ट के जज भी इस स्थापित अधिनियम का उल्लंघन करके ऐसे मामलों की सुनवाई करके फैसले तक सुना रहे हैं. जैसे कि बनारस के केस में 9 अप्रैल-2021 को जिसने आदेश दिया था. ज्ञानवापी मस्जिद की खुदाई एएसआई से कराई जाए. बाद में इस आदेश पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वतः इस पर स्टे लगा दिया था. उन्होंने कहा कि लगातार जुडिशरी अधिनियम का उल्लंघन कर रही है. लेकिन, सुप्रीम कोर्ट की ओर से इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं हो रही है. इसको लेकर हमने प्रदेश भर के सभी जिलों से एक ज्ञापन भी राष्ट्रपति को भेजा था.

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शाहनवाज आलम ने कहा कि देशभर में सांप्रदायिक को लेकर तमाम अफवाह फैलाई जा रही है. सोमवार को ही ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में सर्वे के बाद से लगातार यह समाचार चल रहे हैं कि ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे के दौरान कोई कह रहा है कि 4 फीट का शिवलिंग मिला है तो कोई 8 फीट. कोई 12 फीट का शिवलिंग बता रहा है जो कि साफ तौर अफवाह फैलाने का काम है. असल में ज्ञानवापी मस्जिद में जो पत्थर मिला है वो वहां पर मौजूद फाउंटेन का टूटा हुआ हिस्सा है, उसे उन्होंने खुद देखा था.

भाजपा को लिया आड़े हाथ,दिखाया कोर्ट का आदेश :प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अल्पसंख्यक विभाग चेयरमैन शाहनवाज आलम ने इस दौरान भाजपा को पर निशाना साधा और कहा कि भाजपा को एहसास हो गया है कि वह 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा हारने जा रही है. इसलिए अब भाजपा की ओर से अपने कार्यकर्ताओं को व्यस्त रखने के लिए ज्ञानवापी मस्जिद को बाबरी मस्जिद जैसे बताकर फालतू का मुद्दा उठाया जा रहा है जिससे विपक्ष में जाने पर भाजपा कार्यकर्ता बिजी रहे.

उन्होंने कहा कि सन् 1937 में दीन मोहम्मद नाम के व्यक्ति ने बनारस में एक वाद दायर किया था. इसमें कहा था कि काशी विश्वनाथ मंदिर और बाबरी ज्ञानवापी मस्जिद का हिस्सा अलग किया जाए. इस पर कोर्ट ने फैसला दिया. इसे लेकर हाईकोर्ट में गए. हाईकोर्ट ने भी बनारस कोर्ट के फैसले को जस का तस रखा और मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद के हिस्से को अलग-अलग करने की बात कही. दोनों ही के अलग-अलग हिस्सों को घेर दिया गया. मस्जिद के हिस्से में पहले कभी शिवलिंग नहीं मिला. फिर अब कहां से शिवलिंग आ गया. सच तो यह है कि वहां कोई शिवलिंग नहीं मिला है. देश को गुमराह करने के लिए के लिए यह अफवाह फैलाई जा रही है.

शाहनवाज आलम ने आगे कहा कि यदि मोदी सरकार सच में शिव भक्तों का सम्मान करना चाहती है तो सन् 1617 में औरंगजेब के शासनकाल में उनके मंसबदार बाज बहादुर ने तिब्बत पर हमला करके कैलाश मानसरोवर को भारत का हिस्सा बना लिया था जिसे शिव भक्तों का वहां जाकर के पूजा करना आसान हो गया था. जब से चाइना के कब्जे में तिब्बत है. तब से कैलाश मानसरोवर में पूजा करना बहुत मुश्किल हो गया है. कहा कि उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील है कि वो अपनी आक्रामकता चाइना की ओर दिखाएं और कैलाश मानसरोवर को मुक्ति दिलाने के लिए आंदोलन चलाएं. इस पर हिंदुस्तान का मुसलमान भी उनके साथ खड़ा रहेगा.

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