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विश्व एड्स दिवस विशेष: असुरक्षित कोख में सुरक्षित भविष्य की पहल

उत्तर प्रदेश के आगरा में एचआईवी पॉजिटिव दंपति के आंगन में 'सुरक्षित' किलकारी गूंज रही है. ईटीवी भारत विश्व एड्स दिवस पर स्पेशल रिपोर्ट में मोहब्बत की नगरी के एचआईवी पॉजिटिव दंपति की 'पॉजिटिव' और सच्ची कहानी से रूबरू कराएगा.

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असुरक्षित कोख में सुरक्षित भविष्य.

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Published : Dec 1, 2019, 3:00 AM IST

Updated : Dec 1, 2019, 1:21 PM IST

आगरा: जिले में एचआईवी पॉजिटिव दंपति के आंगन में 'सुरक्षित' किलकारी गूंज रही है. मां-बाप की लाइलाज बीमारी बच्चे को "कोख" में नहीं मिली. जिले में एचआईवी पॉजिटिव मां-बाप ने एक कदम नई जिंदगी की ओर बढ़ाया, जिससे उन्होंने एक सुरक्षित पीढ़ी की नींव रखी है. एचआईवी पॉजिटिव दंपति की सोच से उनकी जिंदगी में खुशियां आईं है.

एसएन मेडिकल कॉलेज और लेडी लायल हॉस्पिटल के आठ साल के आंकड़ों को देखें तो जागरूकता, सावधानी और सूझ-बूझ से एचआईवी पॉजिटिव 'कोख' से 200 से ज्यादा एचआईवी नेगेटिव बच्चे पैदा हुए हैं. इनमें आठ से दस मामले ऐसे भी हैं, जिसमें एचआईवी पॉजिटिव दंपति का बड़ा बच्चा पॉजिटिव है, लेकिन दूसरा छोटा बच्चा निगेटिव है.

काउंसलिंग करते हैं और एआरटी से जोड़ते हैं
यूपी स्टेट एड्स नियंत्रण सोसायटी की काउंसलर रितु भार्गव ने बताया कि जब कोई गर्भवती एचआईवी पॉजिटिव महिला हमारे पास आती है, तो हम उसकी काउंसलिंग करते हैं. वह महिलाओं को बताती हैं कि जब तक बच्चा पैदा नहीं होता है, तब तक आपको हमारे संपर्क में रहना पड़ेगा. जिस तरह से हम बताएंगे, उस तरह से आपको सावधानी बरतनी पड़ेगी.

असुरक्षित कोख में सुरक्षित भविष्य.

रितु भार्गव ने बताया कि महिला को यह भी बताया जाता है कि उसे कब कौन सी जांच करानी है. साथ ही प्रसव भी प्रशिक्षित चिकित्सक से ही कराना है. यदि कोई दिक्कत आती है तो हमें बताएं. इसके साथ ही एआरटी से महिला की दवाई शुरू कर दी जाती है. बच्चा जब पैदा होता है तो उस बच्चे को दवा पिलाई जाती है. फिर 45 दिन, 6 महीने और 18 महीने बाद बच्चे की जांच की जाती है. बच्चा एचआईवी निगेटिव आता है तो कोई बात नहीं और यदि कोई बच्चा एचआईवी पॉजिटिव आता है तो फिर उसे एआरटी से जोड़ कर उसका उपचार शुरू कराया जाता है.

रोजगार के लिए प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर प्रशिक्षण
पॉजिटिव वेलफेयर सोसायटी (आगरा) के प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर रामाशंकर ने बताया कि एचआईवी पॉजिटिव महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी हो इसके लिए हमारी संस्था की ओर से उन्हें सिलाई और कढ़ाई का काम सिखाया जा रहा है. जिले की 50 एचआईवी पॉजिटिव महिलाओं का बैच बनाया गया है, जिससे उन्हें प्रशिक्षण दिया जाएगा.

आठ साल में 178 एचआईवी निगेटिव बच्चे
एसएन मेडिकल कॉलेज के स्त्री रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. सरोज सिंह ने बताया कि 2005 में पीपीटीसीटी सेंटर शुरू किया गया है. सन 2011 में पीपीटीसीटी सेंटर में एचआईवी पॉजिटिव महिलाओं की डिलीवरी का रिकॉर्ड बनाया गया. अक्टूबर 2019 तक 62,945 महिलाओं की एचआईवी की जांच की गई, जिसमें 24 गर्भवती महिलाएं एचआईवी पॉजिटिव मिली.

एचआईवी पॉजिटिव गर्भवती की डिलिवरी की बात करें तो 34 डिलीवरी हुईं हैं, जिसमें 21 डिलीवरी नॉर्मल हुई और 13 सिजेरियन डिलिवरी हुईं. सन 2011 से अक्टूबर 2019 तक के आंकड़ों को देखें तो पीपीटीसीटी सेंटर से एचआईवी पॉजिटिव महिलाओं की 297 डिलीवरी हुई, जिसमें 226 बच्चे हुए. इनमें से 178 बच्चे एचआईवी नेगेटिव रहे हैं.

एआरटी सेंटर एसएन मेडिकल कॉलेज के आंकड़े

  • 9839 एचआईवी पॉजिटिव ( मेल व फीमेल) का पंजीकरण.
  • 527 एचआईवी पॉजिटिव( मेल व फीमेल) की पहले हुई मौत.
  • 1887 एचआईवी पॉजिटिव की ऑन एआरटी डेथ हुई.
  • 4327 एचआईवी पॉजिटिव ( मेल व फीमेल) एआरटी से ले रहे दवा.
  • 60 से 70 एचआईवी पॉजिटिव ( मेल व फीमेल) हर माह एआरटी सेंटर से जुड़ रहे हैं

नोट- यह आंकड़े 2009 से 31 अक्टूबर 2019 तक के हैं.

आगरा में हर माह 60 से 70 नए एचआईवी पॉजिटिव एआरटी सेंटर से जुड़ रहे हैं. हर साल एचआईवी पॉजिटिव का आंकड़ा बढ़ रहा है. नई दवाओं से जहां एचआईवी पॉजिटिव की लाइफ बढ़ी है. वहीं, जन जागरूकता के बाद भी एचआईवी पॉजिटिव की बढ़ती संख्या पर लगाम नहीं लग रहा है.

Last Updated : Dec 1, 2019, 1:21 PM IST

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