आगराःमोहब्बत की निशानी ताजमहल, की खूबसूरती की दुनिया कायल है. हर दिन ताज का दीदार करने हजारों देसी-विदेशी पर्यटक आते हैं. बताया जाता है ताजमहल देश का सबसे महंगा स्मारक है. जहां स्टेप टिकटिंग की व्यवस्था है. जिससे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) का खजाना भर रहा है. बीते 54 वर्षों में ताजमहल टिकट की कीमत 250 गुना बढ़ गई है. यानी ताजमहल देखने के लिए सबसे पहले मात्र 20 पैसे की टिकट थी, जो अब 50 रुपये हो गई है. समय-समय पर ताजमहल की टिकट दर तो बढ़ी लेकिन एएसआई ने तमाम इतिहास को ताले में कैद कर दिए. जिससे साइट सीन कम हो गया. पेश है ईटीवी भारत रिपोर्टर श्यामवीर सिंह की ताजमहल की टिकट और साइट सीन पर स्पेशल रिपोर्ट.
ताजमहल दीदार के सभी होते हैं इच्छुक
ताजमहल पर्यटन का मुख्य आकर्षण केंद्र है. भारत घूमने आने वाले करीब 60 फीसदी विदेशी पर्यटक ताजमहल का दीदार जरूर करते हैं. इसके साथ ही देश भर के पर्यटकों की भी ख्वाहिश एक बार ताजमहल निहारने और उसके साथ फोटो खिंचवाने की जरूर रहती है. इसी वजह से एएसआई और एडीए का खजाना भी भर रहा है.
1966 से पहले ताजमहल भ्रमण था फ्री
एएसआई के मुताबिक, 1966 से पहले ताजमहल पर टिकटिंग व्यवस्था नहीं थी. भारतीय और विदेशी पर्यटक बिना टिकट के ही ताजमहल घूमा करते थे. सन् 1966 में पहली बार भारतीय और विदेशी पर्यटकों के लिए 20 पैसे का टिकट ताजमहल पर निर्धारित किया गया. फिर धीरे-धीरे इस टिकट के दाम बढ़ते गए और 1976 में ताजमहल का टिकट भारतीय और विदेशी पर्यटकों के लिए 2 रुपये का हो गया. वर्तमान में भारतीयों के लिए टिकट 50 रुपए और विदेशी पर्यटकों के लिए 1100 रुपए का हो गया.
सुरक्षा के नाम पर साइट सीन किया कम
वरिष्ठ टूरिस्ट गाइड शमशुद्दीन का कहना है कि, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग में जब मन किया तब सुरक्षा और मेंटेनेंस के नाम पर किसी भी स्मारक के हिस्से को बंद कर दिया. अगर, हम पहले की बात करें तो ताजमहल में उस समय हम ताजमहल के अलावा मेहमानखाना, अकबरी बेगम का मकबरा, फतेहपुरी बेगम का मकबरा इसके साथ ही सीआईएसएफ के ऑफिस के ऊपर बने नर्सरी के भाग को दिखाते थे. लेकिन, अब सिर्फ पर्यटकों को ताजमहल और मुख्य गुम्मद के अलावा कुछ भी देखने के लिए नहीं मिलता है.
रात्रि प्रवास पर पड़ रहा प्रतिकूल असर
टूरिज्म गिल्ड आगरा के उपाध्यक्ष राजीव सक्सेना का कहना है कि आज ताजमहल ही नहीं अन्य तमाम स्मारकों पर भी पर्यटकों के भ्रमण के लिए तमाम स्थानों पर रोक है. इस वजह से पर्यटकों का स्मारक को भ्रमण करने का समय कम होता है. ऐसे में पर्यटक दूसरे जगह घूमने के लिए अपना प्लान भी बना लेता है. इसका असर आगरा में रात्रि प्रवास पर देखने के लिए मिल रहा है. साइट सीन छोटे होने की वजह से पर्यटक पहले ताजमहल सहित अन्य स्मारक घूमने का समय तीन से चार घंटे तक निर्धारित करके आता है. यहां रात्रि किए बगैर ही दूसरे शहर के लिए आगे बढ़ जाता है. इसलिए पर्यटक स्थलों की टिकट बढ़ाने के साथ ही उनके हिस्सों पर पर्यटकों की पाबंदी लगाने को लेकर एक बार जरूर सोचना चाहिए. पर्यटक हमारे लिए दुधारू गाय नहीं हों, वे आगरा के पर्यटन को बढ़ाने वाले होने चाहिए.
25 % स्थान और उसका इतिहास ही जान पाते हैं पर्यटक
मुनव्वर अली का कहना है कि सन् 1960 से धीरे-धीरे ताजमहल के अलग-अलग हिस्सों को बंद करना शुरू किया गया. आज आने वाला पर्यटक के लिए यह हिस्से बंद हैं. इससे पर्यटक इतिहास को नहीं जान पाते हैं. ताजमहल आने वाले पर्यटक आज अकबरी बेगम का मकबरा देख नहीं पाते हैं. फतेहपुरी बेगम का मकबरा भी बंद है. इतना ही नहीं मेहमानखाना और अन्य तमाम जगहों का जो इतिहास है, उसे भी पर्यटक नहीं जान पाते हैं. ताजमहल में 25% स्थान और उसका इतिहास ही पर्यटक जान पाते हैं.
संरक्षण के लिए लगाई पाबंदी
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) विभाग के आगरा सर्किल के अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार का कहना है कि जिन स्थानों को बंद किया गया है. वहां पर तमाम शिकायतें मिल रही थीं. लोग दीवारों पर नाम लिखते थे. प्लास्टर को खुरच देते थे. कई जगह पर सुरक्षा से संबंधित भी शिकायतें आई थीं. जहां अंधेरा होने की वजह से पर्यटकों के साथ अभद्रता की गई थी. इसे देखते हुए ऐसे स्थानों की सुरक्षा और संरक्षण को लेकर के बंद किया गया है.
साल 2000 में बदल दी टिकटिंग व्यवस्था
भले ही साल 1966 में ताजमहल पर पहली बार 20 पैसे के टिकट की व्यवस्था शुरू की गई थी. धीरे-धीरे यह टिकट बढ़ता ही चला जा रहा है. साल 2000 में एएसआई की ओर से ताजमहल की टिकटिंग व्यवस्था में बड़ा बदलाव किया. जिसके तहत भारतीय पर्यटकों के मुकाबले विदेशी पर्यटकों की टिकट दर कई गुना बढ़ोतरी हुई. ताजमहल और अन्य स्मारकों की टिकट के रुपयों में एएसआई के बाद एक बड़ा हिस्सा आवास विकास प्राधिकरण (एडीए) का है.
कमाई के लिए लागू की थी नई टिकट व्यवस्था
ताजमहल से बढ़ रही कमाई को देखकर 1993 में एएसआई और एडीए ने एक नई टिकट व्यवस्था भी लागू की थी. जिसके तहत सूर्योदय के समय सुबह छह बजे से आठ बजे तक और सूर्यास्त के समय शाम पांच बजे से सात बजे तक दो-दो घंटे के लिए अलग टिकट दर का निर्धारण किया गया था. ताजमहल को सूर्योदय और सूर्यास्त के समय निहारने के लिए उस समय 100 रुपये की टिकट लगाई गई थी. हालांकि बाद में इस टिकट को बंद कर दिया गया.