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आगरा में एसटीएफ की बड़ी कार्यवाही, भ्रूण लिंग परीक्षण करने वाले गिरोह का पर्दाफाश - उत्तर प्रदेश के आगरा

उत्तर प्रदेश के आगरा थाना एत्माउद्दौला के अंतर्गत प्रिया हॉस्पिटल में एसटीएफ की टीम ने छापा मारकर भ्रूण लिंग परीक्षण करने वाले गिरोह के 6 सदस्यों को गिरफ्तार कर उन्हें जेल भेज दिया.

6 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा
6 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा

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Published : Mar 21, 2021, 3:25 AM IST

आगरा : एसटीएफ को काफी दिनों से सूचना मिल रही थी कि ट्रांसयमुना स्तिथ प्रिया हॉस्पिटल के तार अवैध रूप से भ्रूण लिंग परीक्षण करने वाले गिरोह से जुड़े है. इस मामले में एसटीएफ की टीम ने छापा मारकर 6 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा है. इनकी निशानदेही पर एसटीएफ अब गिरोह के अन्य सदस्यों की गिरफ्तारी में जुट गई है.

पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीनों का करते थे इस्तेमाल
एसटीएफ आगरा को मौके से पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीने भी बरामद हुईं हैं जिनका इस्तेमाल गर्भवती महिलाओं के भ्रूण में लिंग परीक्षण के लिए किया जाता था. यह गिरोह प्रिया हॉस्पिटल के अलावा चारपहिया वाहनों और अन्य छोटे-छोटे सेंटरों पर भ्रूण लिंग परीक्षण करता था. एसटीएफ की टीम ने सभी मशीनों को कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दी है.

एक महिला सहित पांच पुरुष गिरफ्तार
एसीएम तृतीय महेंद्र कुमार ने बताया एसटीएफ की कार्यवाही के दौरान मौके से 6 लोगों को पकड़ा गया है. इसमें एक महिला और पांच पुरुष शामिल हैं. यह सभी इस गिरोह के सदस्य हैं.

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राजस्थान से जुड़े है गिरोह के तार
ट्रांसयमुना स्तिथ प्रिया हॉस्पिटल के तार राजस्थान से जुड़े है जो भ्रूण लिंग परीक्षण का मुख्य केंद्र माना जाता है. वहीं, राजस्थान से भी कई दंपति इस अवैध हॉस्पिटल में लिंग परीक्षण कराने आते थे.

बारहवीं पास चला रहा था हॉस्पिटल
एसटीएफ की कार्यवाही के दौरान एक चौकाने वाले तथ्य भी सामने आये. पता चला कि जिस डॉक्टर के यहां लिंग परीक्षण का गिरोह सक्रिय था, वह सिर्फ बारहवीं पास है. अवैध रूप से यह हॉस्पिटल काफी समय से संचालित था जिसकी अब जांच की जा रही है.

चिकित्सा विभाग की नाक के नीचे चलता रहा खेल
भ्रूण लिंग परीक्षण का केंद्र बन चुकी ताजनगरी का यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी बाहर की पुलिस भ्रूण लिंग परीक्षणों की शिकायतों को लेकर कई बार यहां कार्यवाही कर चुकी है. वहीं, कुम्भकर्णी नींद में सो रहे चिकित्सा विभाग के अधिकारियों की आंखें फिर भी नहीं खुलीं. शिकायतों पर सिर्फ कागजी घोड़े दौड़ाने वाले इन अधिकारियों ने यह भी नहीं सोचा कि उनकी इस ढील के चलते न जाने कितने ही मासूमों की जान चली गई.

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