आगरा :एक अदद सर्टिफिकेट की बाध्यता ने आगरा मंडल से सब्जियों के राजा आलू का यूरोपीय देशों में एक्सपोर्ट शुरू नहीं हो सका है. फाइटो सेनेटरी सर्टिफिकेट नहीं होने के कारण इस सीजन में यूरोपीय देशों में एक किलो आलू का एक्सपोर्ट नहीं हो सका. फाइटोसैनिटरी सर्टिफिकेट ( PHYTOSANITARY CERTIFICATES) आलू की शुद्धता और रोगरहित होने की गारंटी देता है. एक्सपोर्ट के लिए कृषि विभाग से जारी होने वाला यह सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य है, मगर आगरा में सर्टिफिकेशन नहीं होने के कारण किसानों को काफी नुकसान हुआ. एक्सपोर्ट के नाम पर यहां के किसान अपने आलू को नेपाल, वर्मा, सऊदी अरब और बांग्लादेश ही भेजते हैं. जबकि विदेशों में प्रोसेसिंग और खाने में कुफ़री संगम, कुफ़री ज्योति वैरायटी की बहुत डिमांड है.
कृषि विभाग एक सर्टिफिकेट दे देता तो यूरोप वाले भी चखते आगरा मंडल का आलू - International Potato Centre
विदेशों में कृषि उत्पाद एक्सपोर्ट करने के लिए मानक तय हैं. आगरा मंडल के किसान फाइटोसैनिटरी सर्टिफिकेट ( PHYTOSANITARY CERTIFICATES) की व्यवस्था नहीं होने के कारण अपने प्रोडक्ट पर मोटा मुनाफा नहीं कमा पा रहे हैं. जबकि आगरा के आलू की डिमांड यूरोपीय देशों में है.
देश और विदेशों में स्वादिष्ट आलू के पैदावार के लिए मशहूर आगरा मंडल के किसान निराश हैं. उनके कुफरी संगम और कुफरी ज्योति वैरायटी के आलू की डिमांड पूरी दुनिया में है, मगर वह फाइटो सेनेटरी सर्टिफिकेट नहीं मिलने के कारण यूरोपीय देशों की मंडी तक वह नहीं पहुंच सकते हैं. उन्हें श्रीलंका, वर्मा, बांग्लादेश, नेपाल में आलू भेजकर संतोष करना पड़ता है, जहां से ज्यादा कीमत नहीं मिलती है. कृषि विभाग के आंकड़ों की बात करें तो यूपी में कुल उत्पादित आलू का 27 फीसद आगरा मंडल में होता है (production of Potato in Agra). जिले के चार जिलों में ही प्रति वर्ष 4,970,705 मीट्रिक टन आलू का उत्पादन होता है. इसके बाद भी आगरा से आलू का निर्यात कम है.
नहीं खुला इंटरनेशनल पोटैटो सेंटर :आलू किसान और एक्सपोर्टर युवराज सिंह परिहार ने बताया कि सन् 2014 में आगरा से आलू रूस भेजा गया था. उस समय रूस में आलू की फसल खराब हो गई थी, इसलिए उन्होंने तमाम नियमों में ढील दी थी. आज भी आगरा के आलू की डिमांड फिलीपींस, सिंगापुर, यूरोप, रूस समेत अन्य तमाम देशों में है, मगर पैक हाउस, फाइटो सेनेटरी सर्टिफिकेशन और डिसीज फ्री सर्टिफिकेशन नहीं होने कारण किसान अपने आलू को इन देशों में नहीं भेज पा रहे हैं. केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार ने आगरा में अंतरराष्ट्रीय आलू केंद्र (International Potato Centre) का ब्रांच खोलने का वादा किया था, मगर आज तक यह पूरा नहीं हुआ.
फाइटो सेनिटरी सर्टिफिकेट के लिए सर्वे जारी : उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के आगरा मंडल के उपनिदेशक नीरज कुमार कौशल ने बताया कि, आगरा मंडल के आलू का एक्सपोर्ट मित्र राष्ट्र श्रीलंका, वर्मा, बांग्लादेश, नेपाल और अन्य देशों में हो चुका है. यूरोप के तमाम देश, रूस और अन्य देशों में भी आगरा के आलू की डिमांड है. इन देशों में आलू का एक्सपोर्ट नहीं हो पाता है. इसकी वजह फाइटो सेनिटरी सर्टिफिकेट नहीं होना है. यह सर्टिफिकेट कृषि विभाग की ओर से जारी किया जाता है. आगरा के आलू को विदेशों में एक्सपोर्ट करने के लिए अभी हाल में ही शासन स्तर पर बैठक हुई थी. जिसमें फाइटोसैनिटरी सर्टिफिकेट ( PHYTOSANITARY CERTIFICATES) को लेकर चर्चा की गई. अब इसका सर्वे किया जा रहा है. सर्वे पूरा होने के बाद ही आगरा में पैदा होने वाले आलू के लिए फाइटोसैनिटरी सर्टिफिकेट मिलने लगेगा. जिससे आगरा का आलू जिले से यूरोपियन देश, रूस और अन्य देशों में भी एक्सपोर्ट किया जा सकेगा.
1957 में खंदौली में हुई थी आलू की खेती शुरू :आगरा जिले में पहली बार आलू की खेती खंदौली के गोविंदपुर गांव में शुरू हुई थी. गांव गोविंदपुर के किसान चौधरी चेतराम सिंह ने पंत नगर से आलू का बीज मंगवाया था. जब गांव में आलू की खेती शुरू हुई तो दूर-दूर के गांवों के लोग इसे देखने आते थे. धीरे-धीरे इसकी खेती पूरे जिले में फैल गई. अभी भी जिले में खंदौली आलू पैदावार का मुख्य केंद्र है. आगरा के आलू की डिमांड दक्षिण भारत के कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल, तेलंगाना में अधिक है. इसके साथ ही महाराष्ट्र, मप्र, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा में भी आलू भेजा जाता है. विदेशों की बात करें तो फिलहाल किसान आगरा से नेपाल, भूटान, वर्मा, बांग्लादेश, श्रीलंका में आलू एक्सपोर्ट कर संतोष कर रहे हैं. आगरा मंडल में कुफरी बहार, कुफरी संगम, कुफरी चिप्सोना, कुफरी सदाबहार, कुफरी सूर्या, कुफरी आनंद, कुफरी पुखराज, कुफरी बादशाह, कुफरी ख्याति, कुफरी गरिमा समेत अन्य प्रजातियों की बंपर पैदावार होती है.
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