उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

कोरोना की मार, ठप हुआ पेठा कारोबार

आगरा जिले का विश्व प्रसिद्ध पेठे का कारोबार ठप पड़ा है. जिसके चलते कारोबारियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा रहा है. दरअसल यहां का पेठा कारोबार काफी हद तक पर्यटकों पर निर्भर है, ऐसे में कोरोना के चलते ना पर्यटक आ रहे ना कारोबार रफ्तार पकड़ रहा.

पेठे में घुली कड़वाहट
पेठे में घुली कड़वाहट

By

Published : Jul 7, 2021, 2:27 PM IST

आगरा: जब भी पेठों की बात होती है तो हमारे दिमाग में सबसे पहले आगरा का ही नाम आता है. जहां के पेठे केवल देश ही नहीं विदेशों में भी अपनी मिठास फैलाते हैं. देश और विदेश से आगरा घूमने आए टूरिस्ट यहां की खास मिठाई यानि पेठा का स्वाद लिए बिना नहीं जाते, लेकिन अब इन पेठों की मिठास कड़वाहट में बदल रही है. आगरा का प्रसिद्ध पेठा कारोबार मुश्किल दौर से गुजर रहा है. कोरोनाकाल के चलते ताजनगरी में पेठा का कारोबार 75 प्रतिशत तक गिर गया है. पेठा कारोबारियों का कहना है कि, जल्द ताजमहल सहित अन्य स्मारक वीकेंड पर भी पर्यटकों के लिए 'अनलॉक' किए जाएं, जिससे पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी और पेठा कारोबार भी रफ्तार पकड़ेगा.

दरअसल, कोरोना के चलते आगरा की टूरिज्म इंडस्ट्री ठप पड़ी है. जिसके चलते देश-विदेश से आने वाले सैलानी यहां नहीं आ पा रहे हैं. जिसके चलते पेठा का कारोबार लड़खड़ा रहा है. तमाम पेठा इकाई अभी भी बंद हैं. कच्चे पेठे का दाम पांच गुना तक गिर गया है. इसके बाद भी 75 प्रतिशत पेठा इकाइयों में भट्टी अभी नहीं सुलग रही हैं. अभी ना तो दूसरे राज्यों से डिमांड आ रहा है और ना पर्यटक. वीकेंड पर ताजमहल समेत सभी स्मारक बंद होने से प्रदेश के अन्य जिलों से आने वाले पर्यटक भी अभी नहीं आ रहे हैं.

स्पेशल रिपोर्ट



वीकेंड पर स्मारकों को 'अनलॉक' करने की मांग

पेठा कारोबारी राजेश बंसल का कहना है कि, पेठा कारोबार आगरा आने वाले पर्यटकों पर निर्भर है. अभी प्रदेश में वीकेंड लॉकडाउन है. इस वजह से वीकेंड पर ताजमहल सहित सभी स्मारक शनिवार और रविवार को बंद हैं. इसलिए पर्यटक नहीं आते हैं. सरकार से मांग है कि वीकेंड पर स्मारक अनलॉक किए जाएं. जिससे पेठा कारोबार को रफ्तार मिल सके.

ठप हुआ पेठा कारोबार

इसे भी पढ़ें- आगरा के पेठे में 'कड़वाहट' बना 'कोरोना, पिछले साल हुआ था 300 करोड़ का घाटा

कच्चा पेठा सस्ता, फिर इकाइयां बंद

कच्चे पेठे के आढ़ती सानू यादव का कहना है कि 2020 में जब कोरोना संक्रमण के चलते लॉकडाउन लगा था. उस समय कच्चा पेठा 25 रुपये प्रति किलोग्राम था, लेकिन आज कच्चा पेठा 4 रुपये किलोग्राम बिक रहा है. इसके बाद भी इसके खरीदार नहीं हैं. कोरोना संक्रमण के दौरान भले ही ताजमहल खुल गया, लेकिन वीकेंड पर स्मारकों की बंदी है.

पेठे में घुली कड़वाहट
पेठा कारोबारी राजेश अग्रवाल बताते हैं कि, कोरोना की पहली लहर में हुए नुकसान से पेठा कारोबारी उबर नहीं पाए थे. कि, कोरोना की दूसरी लहर आ गई. इससे बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है. इसकी उम्मीद नहीं थी. करोड़ों का व्यापार प्रभावित हुआ है. इसके साथ ही इस कारोबार से जुड़े करीब 50 हजार लोग प्रभावित हुए हैं. इसमें पेठा कारोबारी, किसान, मजदूर और दुकानदार भी प्रभावित हुए हैं. ताजमहल और पेठा एक-दूसरे के पूरक हैं. ताजमहल समेत अन्य स्मारक 'अनलॉक' होने से अभी 25 से 30 प्रतिशत पेठा कारोबारियों ने काम शुरू किया है. मगर, अभी पेठा कारोबार की रफ्तार बहुत कम है. कम बन रही पेठा की वैरायटीबता दें कि, गर्मियों में पैसे की डिमांड ज्यादा रहती है क्योंकि, पेठा ठंडक देता है. कोरोना की दूसरी लहर के चलते पेठे का कारोबार बहुत मंद पड़ा है. आगरा के नूरी दरवाजा में करीब 20 से 25 तरह की वैरायटी का पेठा बनता था. जो हर वर्ग और आयु के लोगों की पसंद है. लेकिन, नूरा दरवाजा की पेठा इकाइयों में अभी हाल में सिर्फ पेठा की 5 से 6 वैरायटी ही बन रही है. आगरा में पेठा कारोबार
  • 20 कच्चा पेठा आपूर्ति की आढ़त हैं.
  • 500 पेठा बनाने वाली इकाइयां हैं.
  • 3000 पेठा बेचने वाली दुकानें हैं.
  • 50,000 लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details