आगराःसीएम योगी आदित्यनाथ की भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टाॅलरेंस की नीति रही है. लेकिन, आगरा में उन्हीं की पार्टी की नवनिर्वाचित मेयर हेमलता दिवाकर ने अपने एक फैसले से सीएम योगी की जीरो टॉलरेंस नीति को पलीता लगा दिया है. इससे नगर निगम के साथ ही राज्य की राजनीति में चर्चा का बाजार गर्म हो गया है. मेयर ने नगर निगम के दागी पूर्व संविदा कर्मचारी राकेश बंसल को अपना ओएसडी नियुक्त कर नगर आयुक्त के पास पत्र भेजा. जबकि, राकेश बंसल पर करीब 238 करोड़ रुपये की संपत्ति जुटाने समेत कई गंभीर आरोप हैं.
गौरतलब है कि भ्रष्टाचार के चलते ही पूर्व नगरायुक्त निखिल टीकाराम फुंडे ने राकेश बंसल को नगर निगम से हटाकर उसकी सेवा समाप्त कराई थीं. इतना ही नहीं आगरा छावनी के विधायक डाॅ. जीएस धर्मेश ने भी राकेश बंसल की शिकायत की थी. विवाद बढ़ने पर मेयर हेमलता दिवाकर ने गुरुवार को कहा कि राकेश बंसल की नियुक्ति मैंने अपने व्यक्तिगत ओएसडी पद पर की है. नगर निगम से इसका कोई लेना देना नहीं.
दरअसल राकेश बंसल की 2006-07 में संविदा पर कंप्यूटर ऑपरेटर के रूप में नियुक्ति हुई थी. कुछ ही दिनों में बंसल नगर आयुक्त के वैयक्तिक सहायक के रूप में कामकाज देखने लगा. इस दौरान कई बार उसके खिलाफ शिकायत हुई. 2020 में नगर आयुक्त निखिल टीकाराम फुंडे आए, तो उन्होंने दागी राकेश बंसल को पद से हटाकर जलकल विभाग के कर्मचारी देवेंद्र सिंह को वैयक्तिक सहायक नियुक्त कर दिया. इस पर राकेश बंसल छुट्टी पर चला गया. बाद में नगर निगम के अधिकारियों ने राकेश बंसल की संविदा समाप्त कर दी.
नगर आयुक्त को भेजा नियुक्ति पत्रःमेयर हेमलता दिवाकर ने बुधवार को नगर निगम के पूर्व संविदा कर्मचारी रहे राकेश बंसल को अपना ओएसडी नियुक्त करके एक पत्र नगर आयुक्त को भेजा था. इसको लेकर बसपा के पार्षदों में आक्रोश है. उनका कहना है कि, मेयर ने अपने पत्र में लिखा है कि कोई काबिल कर्मचारी नहीं है. यह निगम के कर्मचारियों का अपमान है. इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इसके साथ ही आम आदमी पार्टी के नेता कपिल वाजपेयी ने भी मेयर को ओएसडी नियुक्त की नियुक्त पर घेरा है. आप नेता कपिल वाजपेयी ने कहा कि ओएसडी की नियुक्ति का अधिकार नगर आयुक्त को है. ना कि मेयर को. भ्रष्टाचार के आरोपी को भाजपा की मेयर ने जिस तरह नियुक्त किया है. वह गलत है.