आगरा: जिले की खेरागढ़ तहसील में बीते दिनों लेखपाल और कानूनगो पर कार्रवाई के बाद उत्तर प्रदेश लेखपाल संघ ने मोर्चा खोलते हुए कार्यों का बहिष्कार कर दिया है. लेखपाल संघ बीते 6 दिन से धरने पर बैठा हुआ है. वहीं, अब तहसीलदार खेरागढ़ की जांच में लेखपाल और कानूनगो निर्दोष मिलने के बाद एसडीएम ने विभागीय कार्रवाई को निरस्त करने का आदेश जारी किया है.
कागारौल थाना क्षेत्र नगला घुरैला में विजयवीर सिंह ने दो माह पूर्व तत्कालीन एसएसपी आगरा प्रभाकर चौधरी को शिकायत का प्रार्थना पत्र दिया था. इसमें उन्होंने लेखपाल लोकेंद्र सिंह, क्षेत्रीय राजस्व निरीक्षक दीपक सक्सेना और राजेश कुमार, विजय पाल सिंह पुत्रगण शिव सिंह पर एक विवादित जमीन पर षड्यंत्र कर जमीन के दस्तावेज और अभिलेखों में छेड़छाड़ कर विपक्षियों को लाभ पहुंचाने के लिए तहसील खेरागढ़ में प्रस्तुत करने का आरोप लगाया.
शिकायत के आधार पर तत्कालीन एसएसपी आगरा ने मामले की जांच कराकर करवाई के आदेश दिए थे. जांच में दस्तावेजों में फेरबदल करने का मामला सामने आया, जिसके बाद पुलिस उच्चाधिकारी के आदेश पर लेखपाल लोकेंद्र सिंह, क्षेत्रीय राजस्व निरीक्षक दीपक सक्सेना, राजेश कुमार और विजय पाल सिंह पर FIR दर्ज किया गया.
लेखपाल और राजस्व निरीक्षक पर एफआईआर दर्ज होने के बाद एसडीएम खेरागढ़ अनिल कुमार ने संज्ञान लेते हुए लेखपाल लोकेंद्र सिंह का स्थानांतरण और राजस्व निरीक्षक दीपक सक्सेना को ऑफिस से अटैच कर दिया. इसके साथ ही दोनों के खिलाफ इन पर विभागीय जांच तहसीलदार खेरागढ़ को देकर दंडतात्मक कार्रवाई के आदेश दिए. लेखपाल लोकेंद्र सिंह और क्षेत्रीय राजस्व निरीक्षक दीपक सक्सेना पर एफआईआर दर्ज होने से लेखपाल संघ लामबंद हो गया. इस कार्रवाई से नाराज उत्तर प्रदेश लेखपाल संघ ने मोर्चा खोल दिया और बीते 6 दिन से उनका धरना जारी है.
तहसील अध्यक्ष महेश चंद यादव ने बताया कि विभागीय कार्रवाई वापस हो गई है. अब FIR वापिस नहीं हुई तो कल सभी तहसीलों पर धरना प्रदर्शन होगा और अगले दिन जिले पर सभी लेखपाल जिले पर धरना देंगे. वहीं, एसडीएम खेरागढ़ अनिल कुमार ने बताया है कि मामले में तहसीलदार को जांच दी गई थी. जिसमें नजरी नक्शा में हस्ताक्षर मिलान करने पर लेखपाल और कानूनगो के नहीं होना पाया गया. तहसीलदार की जांच आख्या मिलने पर दोनों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई के रद्द करने के आदेश दिए गए है. वहीं थाना कागारौल में दर्ज FIR को रद्द कराने के लिए डीएम आगरा को पत्र भेजा गया है.