आगराः दीवानी स्थित न्यायालय सिविल जज (प्रवर खण्ड) में बहुचर्चित आगरा जामा मस्जिद मामले की सोमवार को सुनवाई होगी. पिछली तारीख पर श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट के अधिवक्ता और प्रतिपक्षी पक्ष के अधिवक्ता के मध्य बहस हुई. तब कोर्ट ने प्रतिवादी पक्ष की दायर की गयी नए तथ्य जोड़ने की याचिका ख़ारिज करके अगली सुनवाई की तारीख आठ जनवरी दी थी. इस बारे में श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट के अधिवक्ता विनोद शुक्ला ने बताया कि हाईकोर्ट ने लोअर कोर्ट को 6 माह में निपटारा करने का निर्देश दिए हैं. प्रतिवादी पक्ष जानबूझ कर मामले में देरी कर रहे हैं. कोर्ट ने उनकी याचिका में संशोधन की याचिका 65 (ग) भी खारिज कर चुका है.
दरअसल, न्यायालय सिविल जज (प्रवर खण्ड) में आगरा जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबे भगवान श्रीकृष्ण के विग्रह निकालने का चल रहा है. इसमें वादी श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट ने अदालत में दायर वाद करके जामा मस्जिद का एएसआई तकनीकी विशेषज्ञों की टीम से सर्वे कराने की मांग की है जबकि, एक प्रतिवादी पक्ष ने अदालत में प्रार्थना पत्र दाखिल करके अपील की है कि, जामा मस्जिद के मामले में सुनवाई का कोर्ट का क्षेत्राधिकार ही नहीं है जबकि, कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर का दावा है कि मुग़ल शासक औरंगजेब ने 1670 में मथुरा कृष्ण जन्मभूमि से भगवान केशवदेव के विग्रह आगरा की जामा मस्जिद (जहांआरा बेगम मस्जिद) की सीढ़ियों के नीचे दबा दिए इसलिए अदालत पहले जामा मस्जिद की सीढ़ियों से लोगों का आवागमन बंद कराए. इसके साथ ही जामा मस्जिद की सीढ़ियों का एएसआई सर्वे करके वहां से भगवान् श्रीकृष्ण की मूर्तियों को निकालें. इसको लेकर कथावाचक देवकीनंदन ठाकुरजी महाराज ने आगरा में सनातन जागृति सम्मलेन किया था. जिससे सनातनी एकजुट करने के लिए बड़े आंदोलन से जुड़ने की सनातनियों से अपील की. उन्होनें कहा कि, मैं जब तक जामा मस्जिद से मेरे आराध्य को आगरा से ले जाऊंगा. तब तक मेरा संघर्ष जारी रहेगा.
एएसआई सर्वे से सच आएगा सामने
श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट के अधिवक्ता विनोद शुक्ला का कहना है कि. हमने पहले ही कोर्ट से मांग की है कि, जामा मस्जिद का सच सबके सामने लाने के लिए एएसआई सर्वे कराया जाना चाहिए. एएसआई की सर्वे रिपोर्ट से विवाद खत्म किया जा सकता है. क्योंकि, सर्वे रिपोेर्ट से हकीकत सामने आएगी. जबकि, प्रतिवादी पक्ष ने जिला जज की अदालत में प्रार्थना पत्र देकर अपील की है कि, जामा मस्जिद के मामले में सुनवाई करना कोर्ट का क्षेत्राधिकार नहीं है. आज इस पर ही सुनवाई होगी.
शाहजहां की सबसे प्रिय बेटी ने बनवाई थी जामा मस्जिद
वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि, मुगल शहंशाह शाहजहां के 14 संतानें थीं. जिसमें मेहरून्निसा बेगम, जहांआरा, दारा शिकोह, शाह शूजा, रोशनआरा, औरंगजेब, उमेदबक्श,. सुरैया बानो बेगम, मुराद लुतफुल्ला, दौलत आफजा और गौहरा बेगम शामिल थे. एक बच्चा और 1 बच्चे पैदा होते ही मर गए थे. शाहजहां की सबसे प्रिय बेटी जहांआरा थी. उसने अपने वजीफा की रकम पांच लाख रुपये से सन् 1643 से 1648 के बीच जामा मस्जिद का निर्माण कराया था.