आगरा: जनपद में सरिता ने अपनी बेटी के दिल के इलाज के लिए रिक्शा चलाकर अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर महिला सशक्तिकरण का उदाहरण पेश किया है. सरिता को ई-रिक्शा चलाते हुए 7 साल हो गए हैं और उसी ई-रिक्शा की कमाई से बेटी का इलाज कराया. वह अपने परिवार को आर्थिक रूप से मदद करती हैं. एक रिक्शे से शुरू हुआ सफर अब 3 रिक्शों तक पहुंच गया है. महिला दिवस पर सरिता सम्मानित किया गया. इस मौके पर सरिता ने ईटीवी भारत के साथ बातचीत करते हुए जीवन के अनुभव साझा किए.
समाज से ताने मिले पर हिम्मत नहीं हारी
सरिता ने बताया कि उन्होंने अपना ई-रिक्शा पति के चलाने के लिए खरीदा था, लेकिन पति ड्राइविंग का काम करते थे. घर में ई-रिक्शा रखा रहता था. बेटी कि आए दिन तबीयत खराब रहती थी. ऐसे में डॉक्टर ने इलाज में बताया कि उनकी छोटी बेटी गायत्री के दिल में छेद है और इसके लिए ऑपरेशन कराना पड़ेगा. आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण सरिता ने निर्णय लिया कि वह घर में रखा ई रिक्शा चलाएंगी. समाज ने ताने दिए कि महिलाओं के बस का यह काम नहीं उसके बावजूद भी सरिता ने रिक्शा चलाना शुरु किया. कमाई से मिले पैसों की बदौलत सरिता ने अपनी बेटी का इलाज कराया.
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