आगरा:पीएम नरेंद्र मोदी मंच से कई बार दिव्यांगों के लिए रेलवे स्टेशनों व ट्रेनों में सुविधाएं उपलब्ध कराने की बात कह चुके हैं. इसी मंशा से आगरा रेल मंडल कैंट स्टेशन को दिव्यांगजन फ्रेंडली स्टेशन बनाने में जुट गया है. रेल प्रशासन की ओर से सुविधाओं का प्रचार-प्रसार भी किया जाएगा. यह देश का पहला दिव्यांगजन फ्रेंडली रेलवे स्टेशन होगा. जहां पर नेत्रहीन, पैरों से दिव्यांग और मूक-बधिर दिव्यांगों को तमाम सुविधाएं मिलेंगीं. जिससे उन्हें स्टेशन पर भटकना ना पडे़.
इस शहर में बनेगा देश का दिव्यांग फ्रेंडली रेलवे स्टेशन, मिलेंगी ये सुविधाएं - आगरा कैंट रेलवे स्टेशन बनेगा दिव्यांग फ्रेंडली
आगरा कैंट रेलवे स्टेशन को दिव्यांग फ्रेंडली बनाया जा रहा है. इसके लिए रेलवे स्टेशन पर नेत्रहीन, पैरों से दिव्यांग और मूक-बधिर दिव्यांगों को तमाम सुविधाएं मिलेंगीं. जिससे उन्हें स्टेशन पर भटकना नहीं पड़ेगा. इसके लिए कैंट स्टेशन पर कार्यरत टिकट चेकिंग, बुकिंग व पूछताछ पर तैनात रेल कर्मियों को मूक-बधिर दिव्यांगों की सांकेतिक भाषा सिखाई जा रही है.
इस प्रोजेक्ट से ट्रेनों में भी दिव्यांगों को हर तरह की सुविधा देने के साथ ही आगरा कैंट स्टेशन पर भी तमाम सुविधाएं मिलेंगी. जिसमें नेत्रहीनों के लिए लुई ब्रेल लिपि साइनेज, दिव्यांगों के लिए व्हीलचेयर और ट्रेन में चढ़ने के लिए पोर्टेबल रैंप के साथ मूक-बधिरों के लिए सांकेतिक भाषा जानने वाले रेलकर्मी भी तैनाती होंगे. कैंट स्टेशन पर कार्यरत टिकट चेकिंग, बुकिंग व पूछताछ पर तैनात रेलकर्मियों को मूक-बधिर दिव्यांगों की सांकेतिक भाषा सिखाई जा रही है. दो से तीन माह में हर तरह के दिव्यांग को आगरा कैंट स्टेशन पर मदद मिलने लगेगी.
मास्टर ट्रेनर दे रहे रेलकर्मियों को ट्रेनिंग:आगरा मंडल की पीआरओ प्रशस्त्रि श्रीवास्तव ने बताया कि, कैंट स्टेशन पर कार्यरत टिकट चेकिंग, बुकिंग व पूछताछ केंद्र पर तैनात रहने वाले रेलवे कर्मचारियों का यात्रियों से सीधा संवाद होता है. इनसे ही दिव्यांगों का अधिकांश से ही संवाद होता है. इसलिए, इन तीन विभाग के रेलकर्मियों को सांकेतिक भाषा सिखाने के लिए रेलवे ने उप्र सरकार के बेसिक शिक्षा विभाग के तहत सर्वशिक्षा अभियान के कोऑर्डिनेटर से करार हुआ है. रेलवे की ओर से मूक-बधिरों से संवाद को 250 रेलकर्मी सांकेतिक भाषा सिखाई जाएगी. कोऑर्डिनेटर की ओर से सबसे पहले रेलवे के लिए 30 मास्टर ट्रेनर तैयार किए. ये ही मास्टर ट्रेनर अब दूसरे रेलकर्मियों को सांकेतिक भाषा सिखा रहे हैं.