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CISF के बूट टेंडर की शर्तों में परिवर्तन को आगरा के बूट कारोबारियों ने लिखे पत्र

सीएम योगी समेत तमाम जिम्मेदार मंत्री व जनप्रतिनिधियों से मदद की गुहार लगाने पर भी आगरा के बूट कारोबारियों की परेशानी कम नहीं हो रही है. पहले ही आगरा की 35 बूट फैक्ट्रियों पर ताले लटक रहे हैं और अब...

बढ़ी आगरा के बूट कारोबारियों की परेशानी
बढ़ी आगरा के बूट कारोबारियों की परेशानी

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Published : Oct 8, 2021, 1:09 PM IST

आगरा: सीएम योगी समेत तमाम जिम्मेदार मंत्री व जनप्रतिनिधियों से मदद की गुहार लगाने पर भी आगरा के बूट कारोबारियों की परेशानी कम नहीं हो रही है. पहले ही आगरा की 35 बूट फैक्ट्रियों पर ताले लटक गए हैं. हाल ही में सीआईएसएफ हेड क्वार्टर 13 ब्लॉक एनजीओ कॉम्पलेक्स दिल्ली से एक लाख आठ हजार ही एंकल टैक्नीकल बूट विद पीयू सोल का टेंडर निकला है. जेम पर निकले टेंडर में जो मानदंड लगाए गए हैं, उससे टेंडर में वही कम्पनियां शामिल हो सकती हैं, जिनका टर्नओवर 2500 लाख रुपए होगा.

इससे आगरा और कानुपर के घरेलू बूट उद्योग व्यापारियों के हाथ एक बार फिर निराशा लगी है. बता दें कि ईटीवी भारत ने आगरा और कानपुर की सभी बूट फैक्ट्रिरियों बंद होने पर एक खबर प्रसारित की थी. इसके बाद आगरा बूट मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन ने बूट कारोबार को बचाने के लिए सीएम योगी से गुहार भी लगाई. आगरा के बूट कारोबारी सीएम योगी से मुलाकात भी किए और उन्हें अपनी समस्याओं से अवगत भी कराया था.

बढ़ी आगरा के बूट कारोबारियों की परेशानी

इतना ही नही इन कारोबारियों ने अन्य ​जिम्मेदार मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों से भी मुलाकात की. लेकिन उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ. बूट कारोबारियों की समस्या जस की तस बनी हुई है. अब सीआईएसएफ के बूट टेंडर से बाहर होने से आगरा और कानपुर के बूट कारोबारियों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.

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इतना ही नहीं बूट मैन्यूफैक्चरिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनील गुप्ता ने बताया कि पूर्व में आगरा की छोटी कम्पनियां सेना, एयरफोर्स, नेवी, सीआरपीएफ, सीआईएसएफ, बीएसएफ समेत अन्य अद्धसैनिक बलों के जवानों के लिए बूट की सप्लाई कर चुकीं हैं. जिसके आर्डर की कॉपी भी है. मगर पिछले तीन सालों से इस तरह का क्राएटेरिया लगाना सिर्फ दिल्ली-एनसीआर की कम्पनियों को लाभ पहुंचाना है.

बूट मैन्यूफैक्चरिंग एसोसिएशन के सचिव अनिल महाजन ने बताया कि सरकार की गलत नीतियों के कारण पिछले तीन सालों में आगरा की 45 में से लगभग 35 कम्पनियों पर ताले लग गए हैं. पांच हजार से ज्यादा कारीगर बेरोजगार हो गए हैं. यही हाल रहा तो आगरा व कानपुर से घरेलू बूट उद्योग पूरी तरह समाप्त हो जाएगा. अब एसोसिएशन ने इस टेंडर के लिए विभाग को क्राएटेरिया हटाने के लिए पत्र भी लिखा है, जिससे बड़ी कम्पनियों के साथ छोटी कम्पनियों को भी काम मिल सके.

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