आगरा:महिलाओं पर अत्याचार और उनका शोषण यह सब तो कुंठित पुरुषवादी सभ्यता के लिए आम बात है. एसिड अटैक का शिकार हुई महिला के दर्द के आगे शायद हर इंसान की रूह सिहर जाती है क्योंकि जिस जिस्मानी और मानसिक वेदना से वो गुजरती हैं उसका अंदाजा भी शायद कोई लगा सकता.
मगर कई महिलाएं ऐसी भी हैं जिन्होंने इस अपराध के खिलाफ लड़ाई लड़ी और अपने जीवनशैली को और महिलाओं की तरह बनाने की कोशिश की. इस लड़ाई ने आज तेजाबी हमले से पीड़ित महिलाओं के लिए कई रास्ते खोल दिए और उसी में से एक 'शीरोज हैंगआउट कैफे'. ऐसे ही देश-विदेश में कई संस्था हैं जो महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. उन्हीं में से एक संस्था है 'अ सिस्टरहुड', जो ग्रेट ब्रिटेन की मिस यूनिवर्स की संस्था है.
भारत में एसिड अटैक पीड़िताओं के लिए छांव फॉउंडेशन की ओर से शीरोज हैंगआउट कैफे आगरा और लखनऊ में चलाया जाता है. यहां एसिड अटैक सर्वाइवर मेहनत करती हैं, जिन्हें पगार दिया जाता है. इस पगार से वो अपने परिवार का पालन पोषण करती है. लेकिन लॉकडाउन के दौरान कैफे बंद होने से ये सभी एसिड अटैक सर्वाइवर बेरोजगार हो गईं. ऐसे में उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
लॉकडाउन का असर सिर्फ मजदूर और किसानों पर ही नहीं बल्कि कई वर्ग के लोगों पर पड़ा है. इन्हीं में से एक हैं एसिड अटैक सर्वाइवर, जिन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. भले ही अनलॉक शुरू हो गया है, लेकिन विदेशी पर्यटकों का आना अभी शुरू नहीं हुआ है. इस कारण शीरोज में कोई विदेशी पर्यटक नहीं आ रहे हैं, जिसके कारण उनके आमदनी का जरिया बंद पड़ा है. इस परिस्थिती को ध्यान में रखते हुए 'अ सिस्टरहुड' ने शीरोज की तरफ मदद का हाथ बढ़ाया और 7 जून को वेबीनार करके शीरोज के लिए 9 लाख रुपये की क्राउड फंडिंग जमा की.
आगरा के 'शीरोज हैंगआउट' में 10 एसिड अटैक सर्वाइवर काम करती हैं और लखनऊ के 'शीरोज हैंगआउट' कैफे में 20 एसिड अटैक सर्वाइवर काम करती हैं. सभी 'शीरोज' ही कैफे की व्यवस्था संभालती हैं. जिसमें अतिथि का स्वागत, अतिथि से आर्डर, सर्विस और हर संभावित मदद करती हैं. सभी 'शीरोज' को मासिक वेतन दिया जाता है. छांव फाउंडेशन से देशभर की 100 एसिड अटैक सर्वाइवर जुड़ी हुई हैं. जिनकी छांव संस्था की ओर से काउंसिल, पढ़ाई, मेडिकल हेल्प, सर्जरी और नौकरी में मदद करती है.
ट्रीटमेंट और सर्जरी में आएगी दिक्कत
शीरोज हैंगआउट की रूपा ने बताया कि उनका आगरा का कैफे टूरिस्ट प्लेस है. ताजनगरी में जब तक विदेशी मेहमान नहीं आएंगे. यह कैफे नहीं चल पाएगा. इस कैफे पर बहुत सारी सर्वाइवर डिपेंड है जोकि अपने परिवार का खर्चा चला रही हैं. उन्होंने बताया कि वह भी आगरा में किराए पर रहती हैं. उनका कहना है कि जिस तरह से लॉकडाउन चल रहा है. उससे आगे आने वाले समय में सर्वाइवर के ट्रीटमेंट, सर्जरी से लेकर परिवार का खर्च चलाने में दिक्कतें आ सकती हैं.