आगराः राजकीय बालगृह सिरौली में दो दिन के अंदर तीन शिशुओं की मौत से जिला प्रशासन के होश उड़े हुए हैं. हैरानी की बात यह है कि बालगृह प्रबंधन इस मामले को हफ्ते भर से दबाए रहा. वहीं शनिवार को जब इस मामले का खुलासा हुआ तो प्रशासन में हड़कंप मच गया. आरटीआई एक्टिविस्ट नरेश पारस ने इस मामले की शिकायत डीएम और उप्र. राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग से की है.
हफ्ते भर दबाया गया मामला
आरटीआई एक्टिविस्ट एवं महफूज सुरक्षित बचपन के अध्यक्ष नरेश पारस ने पत्र में लिखा है कि 'आगरा के राजकीय बालगृह (शिशु) सिरौली में दो दिन के अंदर तीन नवजात बच्चों की मौत हो गई. बाल गृह प्रबंधन इस मामले को सप्ताहभर से दबाए हुए था. मीडिया में मामला आने पर इसका खुलासा हुआ, जबकि बाल गृह प्रशासन को इस मामले को दबाने के बजाए बच्चों का ईलाज और वरिष्ठ अधिकारियों से विचार करना चाहिए.
पोषण पर गंभीर सवाल
मीडिया में आई जानकारी के मुताबिक धनौली-जगनेर रोड स्थित राजकीय बाल गृह में 24-25 अक्तूबर को चार माह की बच्ची सुनीता ने बालगृह से अस्पताल ले जाते समय रास्ते में दम तोड़ दिया, जबकि तीन माह की नवजात प्रभा भर्ती होने के 24 घंटे और दो माह की अवनी की भर्ती होने के चार घंटे बाद जान चली गई. इन बच्चों को उपचार के लिए पहले जिला अस्पताल भेजा गया. बाद में एसएन मेडिकल कालेज रेफर किया गया. महज 48 घंटे के अंदर तीन शिशुओं की मौत से बालगृह में मासूमों की देखभाल और पोषण पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं.