आगरा : एक ओर सारा देश जहां पुलवामा हमले में शहीद हुए जवानों की शहादत पर आंसू बहा रहा है. वहीं दूसरी ओर 1971 की जीत का एकमात्र गवाह, जिले का इकलौता शहीद स्मारक बदहाली के दौर से गुजर रहा है. यहां के हालात को देखकर पूर्व सैनिकों ने शहीद स्मारक के हालात सुधारने की अपील की है.
1971 की जीत का एकमात्र गवाह हो रहा बदहाली का शिकार
सन् 1971 में जब भारत ने पाकिस्तान को धूल चटाई थी तो सेना के 70 हजार बंदी हुए थे. उस समय आगरा के संजयप्लेस वर्तमान में शहीद स्मारक में तीन हजार बन्दी रखे गए थे.
सन् 1971 में जब भारत ने पाकिस्तान को धूल चटाई थी तो सेना के 70 हजार बंदी हुए थे. उस समय आगरा के संजयप्लेस वर्तमान में शहीद स्मारक में तीन हजार बन्दी रखे गए थे. इसके बाद शहीदों की शहादत को सलाम करते हुए सन् 2001 में यहां एडीए ने शहीद स्मारक बना दिया था. आज स्मारक की मूर्तियों पर गंदगी जमी है और रास्ते खराब हो चुके हैं. यहां तक कि टॉयलेट्स में न पानी है और न ही सफाई. यहां के फाउंटेन भी काफी समय से बंद होने के कारण गंदे पड़े हैं.
शुक्रवार को पूर्व सैनिक एसोसिएशन के रिटायर्ड कर्नल एमजेड खान ने उन्होंने शहीद स्मारक के हालात को लेकर कहा कि यह स्मारक एक प्रकार से आगरा का दिल है. अगर किसी के दिल में ही इतनी गंदगी हो तो सोचिए उसका शरीर कितना गंदा होगा. उन्होंने एडीए और अन्य जिम्मेदार अधिकारियों से अपील की है कि शहीद स्मारक का सही रखरखाव कराया जाए. इससे लोग अपने परिवार के साथ यहां सकें और शहीदों को याद कर सकें.