आगराः यूपी में दुधारू पशु ब्रूसेलोसिस बीमारी की चपेट में है. इससे इन पशुओं में गर्भपात और बांझपन खतरा बढ़ गया है. इतना ही नहीं, पशुओं की ये बीमारी छूने, दूध पीने और अधपका मांस खाने से लोगों तक पहुंच रही है जो बेहद खतरनाक है. मथुरा वेटनरी मेडिकल कॉलेज में इस बीमारी पर रिसर्च चल रहा है. ईटीवी भारत ने आगरा में डॉ. भीमराव विश्वविद्यालय की इंटरनेशनल कांफ्रेंस इन मल्टीडिसिप्लिनरी रिसर्च एंड प्रैक्टिस फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट एंड इनोवेशन में आए रिसर्च स्काॅलर असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ राघवेंद्र प्रसाद मिश्रा से खास बातचीत की.
उन्होंने बताया कि पशुओं की गंभीर बीमारी के कंट्रोल को लेकर सरकार भी गंभीर है. केंद्र और प्रदेश सरकार गांव-गांव में पशुओं का टीकाकरण करा रही हैं. ब्रज क्षेत्र में ब्रूसेलोसिस बीमारी को लेकर रिसर्च की थी जो अभी यूपी में जारी है. इस बीमारी से किसान और पशु पालक को जहां दोगुना नुकसान हो रहा है तो जनता भी इसकी चपेट में आ रही है.
दरअसल, वर्तमान में 60 से 65 प्रतिशत बीमारियां सीधे जीव जन्तुओं से मनुष्य में पहुंच रही हैं. इसकी मुख्य वजह जीव जन्तुओं के मीट को ठीक से पकाए बगैर खाना और दूध को ठीक से उबाले बिना पीना. इसमें ही पशुओं की ब्रूसेलोसिस की बीमारी भी लोगों को अपनी चपेट में रही है. ब्रज क्षेत्र की बात करें तो यहां पर ब्रूसेलोसिस बीमारी के आंकडे डरावने हैं.
यूपी में जिला स्तर पर रिसर्च जारी
बता दें कि, राजस्थान के उदयपुर स्थित एमवी वैटेनरी कॉलेज के असिस्टेंट प्राफेसर डॉ. राघवेंद्र प्रसाद मिश्रा ने बताया कि मैंने मथुरा वेटनरी मेडिकल कॉलेज में ब्रूसेलोसिस बीमारी को लेकर रिसर्च की थी. मेरे साथ रिसर्च में पांच और जूनियर शामिल थे. मैंने सन 2016 में रिसर्च शुरू की थी. ब्रज क्षेत्र के आगरा, मथुरा, अलीगढ, एटा, मैनपुरी, हाथरस, फिरोजाबाद और कासगंज जिले में रिसर्च की. जो सन 2019 तक चली. सन 2020 में कोविड आया तो रिसर्च रुक गई. फिर, 2021 में कोविड के बाद रिसर्च शुरू हुई. जो ब्रज क्षेत्र के साथ ही अब यूपी में जिला स्तर पर चल रही है.
बीमारी से दोहरा नुकसान
असिस्टेंट प्राफेसर डॉ. राघवेंद्र प्रसाद मिश्रा बताते हैं कि ब्रूसेलोसिस बीमारी से किसान और पशु पालकों को दोहरा नुकसान होता है. एक नुकसान में ब्रूसेलोसिस की चपेट में जो गाय, भैंस और अन्य पशु आते हैं. उनके गर्भावस्था में गर्भपात की संभावना अधिक रहती है. इसके बाद उस संक्रमित पशु में बांझपन का खतरा अधिक रहता है. ब्रूसेलोसिस की चपेट में आए पशु के संपर्क आने वाले किसान या पशु पालक के भी संक्रमित होने का अधिक खतरा रहता है.
1200 सैंपल लेकर किया रिसर्च
असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. राघवेंद्र प्रसाद मिश्रा बताते हैं कि उत्तर भारत में जानवरों से ब्रूसेलोसिस बीमारी तेजी से फैल रही है उत्तर भारत के 15 फीसदी जानवर ब्रूसेलोसिस से प्रभावित हैं. इसको लेकर भारत सरकार बेहद गंभीर है. क्योंकि, पशुओं से ही मानव में 65 प्रतिशत बीमारियों पहुंच रही हैं. बू्रसेलोसिस को लेकर ब्रज रीजन के जिलों में हमने 1200 सैंपल लिए. जिनकी जांच की. 10 से 15 प्रतिशत गाय और 9 से 10 प्रतिशत भैंस में ब्रूसेलोसिस बीमारी मिली. ब्रूसेलोसिस की रोकथाम के लिए टीकाकरण कराया जा रहा है. सरकार ने सन 2023 तक ब्रूसेलोसिस के खात्मा का लक्ष्य रखा है.