लखनऊ :जो वादा किया वह निभाया, हमने मंदिर वहीं बनाया. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) की ओर से भारतीय जनता पार्टी को यह खास नारा भाजपा को दिया है. भाजपा का लोकसभा चुनाव अभियान इसी नारे पर चलेगा. इससे पहले मंदिर निर्माण को लेकर भाजपा 1989 से ही अलग अलग नारे लगाती रही है. लोकसभा चुनाव 2024 में भारतीय जनता पार्टी राम मंदिर निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा को भुनाएगी. जिसको देखते हुए इस नए नारे को गढ़ा गया है. जो पूरे लोकसभा चुनाव के दौरान नजर आएगा. फिलहाल संघ और बीजेपी के लोग अक्षत वितरण के दौरान इस नारे का इस्तेमाल करते हुए नजर आ रहे हैं. धीरे-धीरे इसका प्रभाव बढ़ता चला जाएगा.
भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को उम्मीद है कि निश्चित तौर पर भाजपा को चुनाव में इस नारे का लाभ जरूर होगा. इन नारों ने आगे बढ़ाया राम मंदिर आंदोलन वर्ष 1986 से पहले जब राम जन्मभूमि का ताला नहीं खुला था तब एक नारा लगाता था....बंद करो ये न्याय का नाटक, खोलो जन्मभूमि का फाटक. इस नारे ने पूरे देश को आंदोलन के साथ जोड़ा था. वर्ष 1986 में जब देश के प्रधानमंत्री राजीव गांधी थे तब पहली बार राम जन्मभूमि का ताला खुला था. इसके बाद वर्ष 1989 में शिलान्यास हुआ था और कार सेवा की घोषणा के बाद सबसे पहले जय श्री राम का उद्घोष न केवल भक्ति भाव और आंदोलन में जोड़ा गया, बल्कि एक राजनीतिक नारे के तौर पर भी यह तब्दील हो गया था. इसके बाद में विश्व हिंदू परिषद ने 1990 से लेकर 92 तक कार सेवा में अनेक महत्वपूर्ण नारों का उपयोग किया था. राम लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे...सौगंध राम की खाते हैं हम मंदिर वहीं बनाएंगे. बच्चा बच्चा राम का, जन्म भूमि के काम का... भाजपा के लिए चुनावी संजीवनी बन चुके हैं.
राम मंदिर के अतिरिक्त काशी और मथुरा को लेकर...अभी तो यह झांकी है काशी मथुरा बाकी है...नारा भी बहुत प्रचलित रहा. भाजपा के नारों का बना है मजाक राम लला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे इस नारे का विपक्ष ने जमकर मजाक उड़ाया... आम आदमी पार्टी से लेकर कांग्रेस और असदुद्दीन ओवैसी तक ने नारों के स्वरूप को बदलते हुए कहा था कि रामलला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे, मगर तारीख नहीं बताएंगे...सौगंध राम की खाते हैं हम मंदिर नहीं बनाएंगे. विपक्ष आमतौर से भारतीय जनता पार्टी को यह कहकर चढ़ाया करता था कि भाजपा मंदिर बनाना नहीं चाहती केवल इस मुद्दे को जिंदा रखना चाहती है.