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लोकसभा में बनारस के मुद्दों को उठाने के लिए लड़ रही हूं चुनाव: शालिनी यादव - वाराणसी न्यूज

समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देने के लिए शालिनी यादव को वाराणसी में सपा-बसपा के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारा है. शालिनी यादव ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि देश के मुद्दों से ऊपर बनारस के मुद्दों को रखूंगी.

शालिनी यादव ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि देश के मुद्दों से ऊपर बनारस के मुद्दों को रखूंगी.

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Published : Apr 27, 2019, 10:11 PM IST

वाराणसी:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ सपा- बसपा गठबंधन ने अपना एक मजबूत प्रत्याशी बनारस में उतारने का फैसला लिया है. भाजपा के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी के सामने गठबंधन ने कांग्रेस छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल हुई शालिनी यादव को मैदान में उतारा है जो अपना नामांकन 29 अप्रैल को वाराणसी में करने वाली हैं.

शालिनी यादव ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि देश के मुद्दों से ऊपर बनारस के मुद्दों को रखूंगी.

नामांकन से पहले सपा-बसपा गठबंधन की प्रत्याशी शालिनी ने एक प्रेस वार्ता करके अपने मुद्दे जनता के सामने रखे हैं, जिसमें उनका कहना है कि वह देश के मुद्दों पर नहीं बल्कि बनारस के मुद्दों पर लोकसभा चुनाव लड़ना चाहती हैं. शालिनी यादव का कहना है कि मैं देश के मुद्दों पर बनारस से लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने आई हूं बल्कि लोकसभा में बनारस के मुद्दे उठा कर यहां के लोगों को सहूलियत देना चाहती हूं.

वाराणसी लोकसभा सीट से गठबंधन की प्रत्याशी शालिनी यादव ने कहा कि मैं जो भी मुद्दे लोकसभा में उठाऊंगी वे सभी वाराणसी के ही होंगें और जिन मुद्दों पर मैं बनारस की पीड़ाओं का निदान करना चाहती हूं, उनमें कूड़ा निस्तारण और जाम की समस्या प्रमुख है.

सपा-बसपा गठबंधन प्रत्याशी शालिनी यादव का कहना है कि जब वह राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश जी के सामने यह बातें रख रही थीं तो खुद अखिलेश यादव ने भी यही कहा कि बनारस को इन सब मुद्दों पर कार्य की जरूरत है. बनारस की जनता की समस्याएं दूर करने के लिए समाजवादी पार्टी ने मुझ पर भरोसा दिखाया है और गठबंधन ने मुझे बनारस से टिकट दिया है.

गौरतलब है कि शालिनी यादव पहले कांग्रेस से वाराणसी की मेयर प्रत्याशी रह चुकी हैं. जब शालिनी से कांग्रेस छोड़कर समाजवादी पार्टी का दामन थामने पर सवाल किया गया तो उनका कहना था कि पार्टी में संवादहीनता है. कांग्रेस में संवादहीनता होने के कारण बूथ लेवल से लेकर ऊपरी अधिकारियों तक बातचीत नहीं हो पाती है जिस कारण कई ऐसे मुद्दे उठ जाते हैं जो किसी भी पार्टी की नींव को हिला सकते हैं. इसी समाजहीनता के कारण मुझे कोंग्रेस को छोड़ना पड़ा है.

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