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सूर्य ग्रहणः विश्व शांति के लिए काशी में हुआ 'शांति पाठ'

वाराणसी के महर्षि पाणिनि कन्या महाविद्यालय की कन्याओं ने सूर्य ग्रहण के दौरान संस्कृत श्लोक व शांति पाठ किया. ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण होने पर ग्रह और नक्षत्र की चाल बदल जाती है. जिससे मनुष्य के जीवन और प्रकृति पर खासा असर पड़ सकता है. इस असर को मंत्रोचारण से कम करने की कोशिश की जाती है.

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विश्व शांति के लिए शांति पाठ

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Published : Jun 21, 2020, 12:00 PM IST

वाराणसी: जिले में सूर्य ग्रहण से होने वाली दोषों से मुक्ति के लिए महर्षि पाणिनि कन्या महाविद्यालय की कन्याओं ने संस्कृत श्लोक व शांति पाठ किया. कन्याओं ने शांति पाठ के माध्यम से पृथ्वी शांति कहते हुए यह बताने की कोशिश की है कि सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण होने पर ग्रह और नक्षत्र की चाल बदल जाती है. जिसकी वजह से मनुष्य के जीवन और प्रकृति पर खासा असर पड़ सकता है. इस असर को कम करने का सीधा उपाय संस्कृत के उन मंत्रों का उच्चारण किया जाए जिनसे ग्रह नक्षत्र को शांति प्रदान होती है.

वहीं आचार्य नंदिता शास्त्री का कहना है कि खगोलीय दृष्टिकोण से अगर देखा जाए तो यह घटना निरंतर चलती आई है. जब पृथ्वी और सूर्य के बीच में चंद्र आ जाता है जिसकी वजह से ग्रहण की संभावनाएं बढ़ जाती है. वहीं यह सदी का सबसे बड़ा ग्रहण होने की वजह से लोगों के जीवन पर यह खासा असर डाल सकता है. जिसकी वजह से आज हम महर्षि पाणिनि कन्या महाविद्यालय में हवन और यज्ञ का आयोजन किए हैं. जिसमें हम लोगों ने शांति पाठ किया है ताकि देश में सद्भावना व शांति बरकरार रहे.

फिलहाल LAC पर जिस तरीके से भारत और चीन आमने सामने दिखाई पड़ रहे हैं, कहीं ना कहीं लोगों का मानना है कि इसी तरीके का ग्रहण महाभारत काल में भी लग चुका है. जब महाभारत हुआ था और फिर उसी तरीके का सूर्य ग्रहण और सूर्य के दिन यानी रविवार के दिन पड़ा है. जिसे ज्योतिषियों के दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि ज्योतिष आचार्यों का कहना है कि यह दुर्लभ घटना है कभी-कभी इस तरह की घटनाएं नक्षत्रों के बीच होती है. जिसका खासा असर मनुष्य पर देखा जा सकता है.

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