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अब इस नई तकनीक पर होगी बनारसी साड़ी की बुनाई, जानें क्या है पूरा प्लान

वाराणसी में इलेक्ट्रॉनिक जकार्ड के जरिये अब साड़ियों को बुना जायेगा. इलेक्ट्रॉनिक जकार्ड बिजली से संचालित होता है. इलेक्ट्रॉनिक जकार्ड से बड़ी डिजाइन भी आसानी से बिना ज्यादा मेहनत के बुनकर साड़ियों पर उतार सकेंगे.

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इलेक्ट्रॉनिक जकार्ड से बुनाई

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Published : Aug 17, 2022, 12:47 PM IST

वाराणसी: इलेक्ट्रॉनिक जकार्ड के जरिए बुनकर आत्मनिर्भर बनेंगे. जी हां भारत सरकार ने बुनकरों की सुविधाओं को देखते हुए अब उनके लिए इलेक्ट्रॉनिक जकार्ड की व्यवस्था की हैं. बड़ी बात यह है कि, यह मशीन बुनकरों को 90 फ़ीसदी सब्सिडी पर उपलब्ध होगी. साथ ही पॉवरलूम में प्रयोग के बाद अब इस मशीन का प्रयोग हैंडलूम में किया जाए. इसके लिए बनारस में एक मशीन को भी स्थापित किया गया है. क्या है इलेक्ट्रॉनिक जकार्ड, कैसे बुनकर ले सकते हैं इसका लाभ, जानने के लिए देखें यह रिपोर्ट.

बुनकर सेवा केंद्र के उप निदेशक संदीप ठुबरीकर ने दी जानकारी
क्या है इलेक्ट्रॉनिक जकार्ड:बता दें कि, इलेक्ट्रॉनिक जकार्ड,परम्परागत जकार्ड मशीन का विकसित रूप है. इस मशीन का प्रयोग हैंडलूम में अब साड़ियों को बुनने में किया जा रहा हैं. इसके पहले हैंडलूम में साड़ियां परंपरागत जकार्ड के जरिए बुनती आ रही है. परंपरागत जकार्ड में पंच कार्ड के जरिए 260 तिली की डिजाइन को बनाकर साड़ी की बुनाई होती है. इसमें बुनकरों को ज्यादा समय देने के साथ-साथ ज्यादा मेहनत नहीं करना पड़ता हैं.

अब नया इलेक्ट्रॉनिक जकार्ड बिजली के जरिए संचालित होगा. इसमें 900 से ज्यादा तिलिया लगी हुई है. इससे बड़ी डिजाइन भी आसानी से बिना ज्यादा मेहनत के बुनकर साड़ियों पर उतार सकेंगे. वर्तमान में जनपद में सरकार की ओर से ट्रायल के लिए रामनगर क्षेत्र में एक बुनकर के यहां इसे स्थापित किया गया है. इसकी सफ़लता के बाद बुनकरों को इसके लिए प्रेरित किया जाएगा.

अब पेनड्राइव के जरिये बुनी जाएगी बनारसी साड़ी:इलेक्ट्रॉनिक जकार्ड को स्थापित करने वाले पहले बुनकर मोहम्मद यासीन बताते हैं कि, यह एक आधुनिक तरीके की मशीन है, जो बनारसी साड़ी को आधुनिक तरीके से बनाएगी. इसकी सबसे खास बात यह है कि, यदि कंप्यूटर पर डिजाइन तैयार करने के साथ पेनड्राइव को इस मशीन में लगे पैलेट पर लगा दिया जाये तो यह डिजाइन साड़ियों पर बनने लगती हैं.

इसके साथ बड़ी से बड़ी डिजाइन आसानी से कम मेहनत में इस पर तैयार हो जाती. उन्होंने बताया कि, इस पर एक साड़ी बनाने में 7 से 10 दिन का समय लग रहा है. इसकी कार्यक्षमता को देख कर यह माना जा रहा है कि, यह मशीन बुनकरों के लिए फायदेमंद होगी. इसमें एक्स्ट्रा ख़र्च, मेहनत और समय में काफ़ी बचत हो रही है.

90 फीसदी सब्सिडी पर आसानी से बुनकर ले सकते हैं लाभ:इस बारे में वाराणसी बुनकर सेवा केंद्र के उप निदेशक संदीप ने बताया कि, यह भारत सरकार के तमाम योजनाओं में से एक योजना है. इसके तहत बुनकर बंधुओं को सब्सिडी देकर इलेक्ट्रॉनिक जकार्ड मशीन को उपलब्ध कराना है. अब तक इन मशीनों का प्रयोग पावर लूम में होता था. परंतु हैंडलूम में भी उसका प्रयोग हो इसके लिए एक मशीन को अभी स्थापित कराया गया है. इसकी सफलता के बाद बुनकरों को उसे लेने के लिए प्रेरित किया जाएगा.

उन्होंने बताया कि, इसकी सबसे खास बात यह है कि इसमें 90 फीसदी सब्सिडी सरकार की ओर से दी जाएगी. 3 लाख की मशीन के लिए महज बुनकरों को 30 हज़ार देकर इस मशीन को स्थापित कराना है.इसके लिए कोई भी बुनकर आवेदन देकर इसका लाभ ले सकता है. उन्होंने बताया कि, इसे स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य बुनकरों को नई तकनीक से जोड़कर लाभ पहुंचाना है.

निश्चित तौर पर सरकार बुनकरों को तमाम सुविधाएं मुहैया करा रही है. इस क्रम में इस मशीन को भी उपलब्ध कराया गया है. ताकि, विदेशों में अपनी चमक बिखेर रही बनारसी साड़ी को आधुनिक और स्मार्ट तरीके से बुना जा सके. इससे जहा एक ओर साड़ियों को बनाने में कम समय लगेगा तो वहीं, बुनकरों की राह भी आसान होगी.

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