वाराणसी: मोक्ष की नगरी काशी में गंगा नदी हर किसी को मोक्ष देने के लिए उपलब्ध रहती है. माता गंगा के किनारे बने मणिकर्णिका घाट (varanasi manikarnika ghat) पर प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में लोग शवों के दाह संस्कार के लिए पहुंचते हैं. दाह संस्कार कर लोग मोक्ष की कामना से अस्थियों का विसर्जन गंगा में करते हैं, लेकिन इन दिनों मोक्षदायिनी गंगा ही मोक्ष की राह में रोड़ा बनकर बह (manikarnika ghat streets filled with water) रही है.
वाराणसी का मणिकर्णिका घाट (varanasi manikarnika ghat) अपने आप में काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. जिनको काशी में मृत्यु प्राप्त नहीं होती है. उनके मोक्ष की कामना लेकर उनके परिजन मृत्यु उपरांत उनकी डेड बॉडी को मणिकर्णिका घाट पर दाह संस्कार के लिए लेकर आते हैं. ऐसी मान्यता है कि, मणिकर्णिका पर भगवान शिव की मौजूदगी में शव का दाह संस्कार होता है और यहां गंगा में दाह संस्कार के बाद अस्थियों को प्रवाहित करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. वाराणसी के इस महाश्मशान पर आस-पास के जिलों के अलावा पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड और देश के कई हिस्सों से शवों को दाह संस्कार के लिए लाया जाता है, लेकिन इन दिनों गंगा का जलस्तर बढ़ने से यहां लोगों को परेशानियों का सामाना करना पड़ रहा है. मणिकर्णिका घाट के 18 प्लेटफार्म जलस्तर बढ़ने से डूब गए हैं और अब छत पर लगाए केवल 10 प्लेटफार्म ही बचे हैं. जहां प्रतिदिन कई शवों का दाह संस्कार संपन्न किया जा रहा है.