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विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के 9 महीने बाद 71 लोगों को आवंटित की गई दुकानें

मंगलवार को काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन ने पहली नीलामी प्रक्रिया के तहत धाम में मौजूद 71 दुकानों का आवंटन किया.

ईटीवी भारत
काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन

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Published : Sep 28, 2022, 7:34 AM IST

वाराणसी: देर आए लेकिन दुरुस्त आए यह कहावत श्री काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन पर बिल्कुल सटीक बैठती है, क्योंकि 13 दिसंबर 2021 जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्वनाथ धाम का लोकार्पण किया और यह भव्य विश्वनाथ परिसर लोगों को समर्पित किया, तो उस दौरान यहां पर बनाई गई दुकान है. बहुत जल्द विश्वनाथ धाम निर्माण के दौरान हटाए गए दुकानदारों को नियम कानून के तहत आवंटित करने के बाद मंदिर प्रशासन ने कही थी, लेकिन इस प्रक्रिया को पूरा होते-होते लगभग 9 महीने का वक्त लग गया.

मंगलवार को काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन ने पहली नीलामी प्रक्रिया के तहत धाम में मौजूद 71 दुकानों का आवंटन किया. श्री काशी विश्वनाथ धाम बनने के बाद पहली बार दुकानों की नीलामी मंगलवार को की गई. पहली बार के नीलामी में कुल 82 आवेदन प्राप्त किए गए, जिनको चयन समिति ने पात्रता के आधार पर 71 लोगों को चुना और उनको दुकानें आवंटित कीं. श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील कुमार वर्मा ने बताया कि श्री काशी विश्वनाथ मंदिर विस्तारीकरण सुंदरीकरण परियोजना के निर्माण के दौरान जिन किरायेदार दुकानदारों को विस्थापित किया गया था. उनको दुकानों के आवंटन का कार्य मंगलवार को विश्वनाथ धाम के मल्टीपरपज हाल में मंगलवार दोपहर में 1 बजे किया गया.

दुकानों के आवंटन के लिए नीलामी की प्रक्रिया
इसमें दुकानों के लिए जितने आवेदन आए थे, उन सभी लोगों को बुलाकर उनके सामने खुली नीलामी कराई गई. जिलाधिकारी की ओर से नामित अपर जिलाधिकारी कानून व्यवस्था और प्रोटोकॉल बच्चू सिंह सहित मंदिर के कई अधिकारियों के समिति ने इस काम पूरा कराया. पहली बार में कुल 82 आवेदन मंदिर कार्यालय में हुआ था. इस आवेदन में जो पात्रता रखी गई थी. उसके आधार पर मात्र 71 आवेदन ही पात्र पाए गए, जिनको दुकानें आवंटित कर दी गई हैं.
नीलामी के दौरान मौजूद अधिकारी

जो लोग अभी दुकानों से वंचित रह गए हैं, उनके लिए अगली तिथि 17 अक्टूबर तय की गई है. मंदिर के अधिकारियों का कहना है कि आवंटन की प्रक्रिया में पहले उन लोगों को दुकानें दी गई हैं, जिनको यहां से निर्माण के दौरान हटाया गया था. इसके बदले में इनसे बहुत ही नॉमिनल रेट पर सरकारी व्यवस्था के तहत पैसा लिया गया है.
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