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Ropeway in Varanasi: भारत माता मंदिर के ऊपर से रोपवे निर्माण का विरोध, छात्र-अध्यापकों ने शुरू की खिलाफत - वाराणसी में रोपवे का विरोध

वाराणसी में रोपवे योजना से महात्मा गांधी काशी और भारत माता मंदिर को क्षति पहुंचाने के लिए खिलाफ भारत माता मंदिर में छात्र, अध्यापक और नागरिकों ने धरना दिया

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धरना प्रदर्शन करते लोग

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Published : Aug 7, 2022, 6:38 PM IST

वाराणसी: शहर में ट्रैफिक की समस्या को देखते हुए वाराणसी विकास प्राधिकरण रोपवे व्यवस्था लागू करने जा रहा है. कैंट स्टेशन से लेकर दशाश्वमेध तक ये योजना प्रस्तावित है. कैन्ट स्टेशन से दशाश्वमेध तक रोपवे बनना है. रोपवे बनाने के लिए स्टेशन एवं पिलर लगाने है. इसी के तहत महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में एक स्टेशन एवं 6 खंभे लगाने की प्रस्तावित योजना है. काशीपीठ के कुलपति ए.के त्यागी ने कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल और कुलपति सरकार से पत्र लिखकर स्टेशन और खंबे लगाने पर रोक लगाने की मांग की है.रोपवे बनने के विरोध में विद्यापीठ के छात्र, पूर्व शिक्षक और आमजन विरोध प्रदर्शन पर उतर आए हैं.


प्रस्तावित रोपवे में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के प्रांगण भारत माता मंदिर पर पुरजोर विरोध करते हुए काशी विद्यापीठ के इतिहास गौरव को याद किया गया. इस अवसर पर विद्यापीठ के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर अनिल कुमार उपाध्याय ने कहा कि महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ की नींव आजादी के आंदोलन के लिए रखी गई थी. इसको लेकर मालवीय जी एवं महात्मा गांधी में विचारी मतभेद भी हुए थे, पर आजादी के आंदोलन के लड़ने के लिए लोग एक साथ खड़े थे जिसको लेकर हम सभी लोग इसका विरोध कर रहे हैं.

धरना प्रदर्शन करते लोग.
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डॉक्टर अनिल कुमार उपाध्याय ने बताया की विश्वविद्यालय की परिधि बहुत छोटी है और यहां पर कई परियोजनाएं प्रस्तावित है. जो आने वाले समय में अगर रूप लेगी तो यह आगे नहीं बन सकेगा. हम काशी वासियों से एवं पूर्व छात्र-छात्राओं, कर्मचारी एवं शिक्षकों से अपील करते हैं कि वह इसका पुरजोर विरोध करें. भारत माता मंदिर के विषय में कहा की 1918 में भारत माता मंदिर निर्मित हुआ था. इस मंदिर को देखने के लिए देश-विदेश से सैलानी आते हैं. वाराणसी शहर की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए योजना पूर्णता अव्यवहारिक है. जिसे काशी की गरिमा, निजता एवं इतिहास समाप्त हो जाएगा. इसे तत्काल रोका जाए.

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