उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / city

आज है प्रदोष व्रत, मनोकामना पूर्ति के लिए इस विधान से करें शिवपूजन, होगी हर मनोकामना पूर्ण - भगवान शिवजी का अभिषेक

आज प्रदोष व्रत है. कलियुग में भगवान शिवजी की आराधना के लिए प्रदोष व्रत शीघ्र फलदायी बताया गया है. प्रदोष व्रत से शिवभक्तों का सदैव कल्याण होता है. जानिए कैसे करें शिवपूजन.

Etv Bharat
आज है प्रदोष व्रत

By

Published : Aug 24, 2022, 7:01 AM IST

वाराणसी:हिन्दू सनातन धर्म में भगवान शिवजी की महिमा अनन्त है. प्रदोष व्रत के उपास्य देवता भगवान शिव ही हैं. भगवान शिव की विशेष अनुकम्पा प्राप्ति के लिए शिवपुराण में विविध व्रतों का उल्लेख मिलता है. इसमें प्रदोष व्रत अत्यंत प्रभावशाली और शीघ्र फलदायी माना गया है. प्रख्यात ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि यह प्रदोष व्रत प्रत्येक मास में दो बार आता है. शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की प्रदोष काल में व्यास त्रयोदशी तिथि के दिन यह व्रत रखा जाता है. सूर्यास्त की समाप्ति और रात्रि के प्रारम्भ में पड़ने वाली त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है. सूर्यास्त के बाद तीन मुहूर्तपर्यन्त जो त्रयोदशी तिथि हो, उसी दिन यह व्रत रखा जाता है. सायंकाल प्रदोषकाल में भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा-अर्चना का नियम है.

ज्योतिषी विमल जैन ने बताया कि इस बार प्रदोष व्रत 24 अगस्त यानी बुधवार को रखा गया है. भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 24 अगस्त, बुधवार को सुबह 8 बजकर 31 मिनट पर लगेगी. जो कि अगले दिन 25 अगस्त, गुरुवार को सुबह 10 बजकर 38 मिनट तक रहेगी. प्रदोषकाल का समय सूर्यास्त से 48 मिनट या 72 मिनट तक माना गया है. इसी अवधि में भगवान शिवजी की पूजा प्रारंभ करनी चाहिए. व्रतकर्ता को इस दिन संपूर्ण दिन निराहार रहते हुए सायंकाल पुनः स्नान करने के उपरान्त स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए. तत्पश्चात प्रदोष बेला में भगवान शिवजी की पूजा अर्चना पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके करनी चाहिए. व्रत के दिन व्रतकर्ता को दिन में शयन नहीं करना चाहिए, परनिन्दा और व्यर्थ के वार्तालाप से बचना चाहिए.

इसे भी पढ़े-बस्ती के शिवपूजन ने जुगाड़ से बनाई 'देसी फरारी', आनंद महिंद्रा बोले- मैं इस योद्धा से मिलना चाहता हूं

ऐसे रखें प्रदोष व्रत: ज्योतिषविद विमल जैन ने बताया कि, व्रतकर्ता को प्रातः काल ब्रह्ममुहूर्त में उठकर समस्त दैनिक कृत्यों से निवृत्त होकर स्नान-ध्यान, पूजा-अर्चना के पश्चात् अपने दाहिने हाथ में जल, पुष्प, फल, गन्ध और कुश लेकर प्रदोष व्रत का संकल्प लेना चाहिए. दिनभर निराहार रहकर सायंकाल पुनः स्नान करके प्रदोष काल में भगवान शिवजी की विधि-विधान पूर्वक पंचोपचार, दशोपचार अथवा षोडशोपचार पूजा-अर्चना करनी चाहिए. भगवान शिवजी का अभिषेक करके उन्हें वस्त्र, यज्ञोपवीत, आभूषण, सुगन्धित द्रव्य के साथ बेलपत्र, कनेर, धतूरा, मदार, ऋतुपुष्प, नैवेद्य आदि अर्पित करके धूप-दीप के साथ पूजा-अर्चना करनी चाहिए. शिवभक्त अपने मस्तिष्क पर भस्म और तिलक लगाकर शिवजी की पूजा करें तो पूजा शीघ्र फलदायी होती है. शिवजी की विशेष अनुकम्पा प्राप्त करने के लिए स्कन्दपुराण में वर्णित प्रदोषव्रत कथा का पठन या श्रवण करना चाहिए. प्रदोष व्रत से जीवन के समस्त दोषों का शमन होता है. साथ ही सुख सौभाग्य में अभिवृद्धि होती है. प्रदोष व्रत से शिवजी की अपार अनुकम्पा मिलती है. प्रदोष व्रत महिलाएं और पुरुष दोनों के लिए समानरूप से पुण्य फलदायी है.

वार के अनुसार प्रदोष व्रत के लाभ-ज्योतिषविद विमल जैन के मुताबिक, प्रत्येक दिन के प्रदोष व्रत का अलग-अलग महत्त्व है. जैसे, रवि प्रदोष आयु, आरोग्य, सुख-समृद्धि, सोम प्रदोष शान्ति एवं रक्षा, भौम प्रदोष कर्ज से मुक्ति, बुध प्रदोष मनोकामना की पूर्ति, गुरु प्रदोष विजय और लक्ष्य की प्राप्ति, शुक्र प्रदोष आरोग्य, सौभाग्य और मनोकामना की पूर्ति, शनि प्रदोष पुत्र सुख की प्राप्ति अभीष्ट की पूर्ति के लिए 11 प्रदोष व्रत या वर्ष के समस्त त्रयोदशी तिथियों का व्रत अथवा मनोकामना पूर्ति होने तक प्रदोष व्रत रखने का विधान है. कलियुग में भगवान शिवजी की आराधना के लिए प्रदोष व्रत शीघ्र फलदायी बतया गया है. प्रदोष व्रत से शिवभक्तों का सदैव कल्याण होता है.

यह भी पढ़े-शुक्रवार शाम 3.45 बजे से है सिद्ध योग, भोलेनाथ की पूजा से पूरी होगी मनोकामना

ABOUT THE AUTHOR

...view details