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वाराणसी: नवरात्रि के पहले दिन काशी वासियों ने किए मां शैलपुत्री के दर्शन

शनिवार को चैत्र के नवरात्र का पहला दिन है. इस दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री माता की पूज होती है. वाराणसी में नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री के दर्शन के लिए मंदिरों में भारी भीड़ उमड़ी. काशी वासियों ने मां के दर्शन कर अपने मन की मुरादें मांगी.

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Published : Apr 6, 2019, 6:17 AM IST

काशी वासियों ने किए मां शैलपुत्री के दर्शन

वाराणसी: चैत्र नवरात्रि का प्रथम दिन जगत जननी मां जगदंबा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री के रूप में विख्यात है. वाराणसी में नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री के दर्शन के लिए अलईपुर क्षेत्र में स्थित मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ नजर आई. वाराणसी में देवी भगवती के नौ स्वरूपों में अलग-अलग मंदिर हैं, जहां नवरात्रि के प्रथम दिन से लेकर नवमी तक जगदंबा के विभिन्न स्वरूपों के दर्शन की मान्यता है. नवरात्रि का पर्व शुरु होते ही 9 दिनों देवी पूजा का विशेष महत्व है, जिसमें सबसे पहले दिन माता शैलपुत्री के दर्शन का विधान है.

जानिए मां शैलपुत्री की विशेषता...

⦁ शैलराज हिमालय की कन्या होने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा गया है.
⦁ मां शैलपुत्री दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प लिए अपने वाहन वृषभ पर विराजमान होती हैं.
⦁ नवरात्र के पहले दिन की उपासना में अपने मन को मूलाधार चक्र में स्थित करके जागृत करती हैं.
⦁ इस प्रकार से योग साधना आरंभ होती है, जिससे अनेक प्रकार की शक्तियां प्राप्त होती हैं.

काशी वासियों ने किए मां शैलपुत्री के दर्शन.

मां शैलपुत्री को पार्वती स्वरूप व भगवान शिव की अर्धांगिनी के रूप में पूजा जाता है. मान्यता है कि इनके दर्शन मात्र से ही सभी कष्ट मिट जाते हैं. मां की महिमा का वर्णन पुराणों में भी मिलता है. वाराणसी में मां का अति प्राचीन मंदिर बना है, जहां नवरात्रि के पहले दिन हजारों श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ जाती है.

अपनी मुरादों को मन में लिए हर भक्त उनके दर्शन को आतुर रहता है. मां शैलपुत्री को नारियल और गुड़हल के फूल अधिक पसंद है. नवरात्र के इस पहले दिन कलश स्थापना के साथ ही मां दुर्गा की पूजा शुरू हो जाती है. मां दुर्गा के पहले स्वरूप शैलपुत्री की पूजा की अपनी एक अलग ही मान्यता है.

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