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नगर निकाय चुनाव में AAP बिगाड़ सकती है बीजेपी का खेल या खुद हो जाएगी फेल - सीएम अरविंद केजरीवाल

विधानसभा चुनाव 2022 में भाजपा के लिए कई पार्टियां थीं, इनमें से एक आम आदमी पार्टी भी थी. आप ने भाजपा के खिलाफ काफी माहौल तैयार कर लिया था. रैलियों में भीड़ और समर्थकों का उत्साह देखने के बाद पार्टी की उम्मीदें बढ़ गई थीं. हालांकि, चुनाव परिणाम आने के बाद सब धरा रह गया. एक भी सीट पर पार्टी के उम्मीदवार जीत नहीं दिला सके. (municipal elections competition between BJP or AAP)

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Published : Sep 22, 2022, 2:16 PM IST

वाराणसी:उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) में भाजपा ने सरकार दोबारा बनाई और कई रिकॉर्ड भी बनाए हैं. परिणाम आम आदमी पार्टी के लिए भी चौंकाने वाले ही रहे. 350 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली पार्टी खाता भी नहीं खोल सकी. निकाय चुनाव में एक बार फिर आप (Aam Aadmi Party) दम भर रही है और भाजपा को कड़ी टक्कर देने की योजना बना रही है. पार्टी का दावा है कि जनता उन्हें भारी सीटों पर जीत दिलाएगी.

विधानसभा चुनाव 2022 में क्या था 'आप' का हाल:आप (Aam Aadmi Party) ने यूपी विधानसभा चुनाव में पहली बार ताल ठोकी और यहां 350 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे. पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 में प्रचंड बहुमत प्राप्‍त करने वाली आम आदमी पार्टी का यूपी विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) में खाता भी नहीं खुला. इसमें एनडीए को 273 सीटें (भाजपा 255, अपना दल एस 12, निषाद पार्टी 6), सपा गठबंधन 125 (सपा 111, रालोद 8, सुभासपा 6), बसपा 1, कांग्रेस 2 और अन्य को 2 सीटें मिली हैं. बता दें कि वाराणसी की सभी 8 विधानसभा सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी.

मीडिया से बात करते आप प्रवक्ता मुकेश सिंह
चुनाव परिणाम आने के बाद पता चला कि आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) खाता भी नहीं खोल सकी है. इसके बाद आप के यूपी प्रभारी और राज्य सभा सदस्य संजय सिंह (Rajya Sabha member Sanjay Singh) ने बयान दिया कि कार्यकर्ताओं ने काफी मेहनत की. हम नये थे, लेकिन फिर भी लोगों तक दिल्ली के केजरीवाल मॉडल को पहुंचाने की पूरी कोशिश की. उन्होंने कहा कि बसपा और कांग्रेस जैसी बड़ी पार्टियां बुरी तरह चुनाव हार गईं हमारी पार्टी तो नई है.आप नेता मुकेश (AAP leader Mukesh) ने दावा किया है कि इस बार निकाय चुनाव (municipal elections in up) पार्टी मजबूती से लड़ने जा रही है. सांसद संजय सिंह के नेतृत्व में सगठन निर्माण को गति दी जा रही है. प्रदेश को 8 प्रांतों में बांटकर चुनावी समर की तैयारी की जा रही है. प्रांतीय कार्यकर्ता सम्मेलन (Provincial Workers Conference) भी किया जा रहा है. काशी, आजमगढ़, बस्ती सहित तमात प्रांतों में कार्यकर्ता सम्मेलन किया जाना है.पढ़ें-इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं क्लाइमेट पर डिपेंड है छात्रों की ग्रोथ, रिसर्च में हुआ खुलासा

आप नेता मुकेश (AAP leader Mukesh) ने बताया कि घर-घर जाकर लोगों के बीच दिल्ली में किए जा रहे कामों को पहुंचाया जा रहा है. जनता से जुड़े बुनियादी सवालों बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य पर काम कर रहे हैं. उसी तरह हम अगर उत्तर प्रदेश में चुनाव जीतते हैं. तो जनता से जुड़े उन्हीं मुद्दों पर काम करेंगे. लोगों को सुशासन देंगे. लोगों की समस्याओं को हल करने में मदद करेंगे. लोग अब आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) की डिमांड कर रहे हैं. जनता चाहती है कि उत्तर प्रदेश में भी आम आदमी पार्टी को आकर चुनाव लड़ना चाहिए. उत्तर प्रदेश में हम भाजपा को कड़ी टक्कर देते नजर आएंगे. भाजपा को लगने लगा है कि आम आदमी पार्टी ही हमें टक्कर दे सकती है. हमें सत्ता से उखाड़ फेंक सकती है. इसलिए ईडी और सीबीआई का दुरुपयोग कर रही है.

आप के राजीनीतिक समर में उतरने को लेकर के राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर रवि प्रकाश पांडे का कहना है कि आम आदमी पार्टी उभरती हुई नई पार्टी के रूप में अपने आप को स्थापित कर रही है, लेकिन यह बीजेपी का नहीं बल्कि कांग्रेस का विकल्प बन रही है. जिसका प्रमाण दिल्ली और पंजाब के चुनावों में भी देखने को मिलता है. यदि उत्तर प्रदेश की बात की जाए तो यहां पर हिंदुत्व की विचारधारा प्रबल है. किसी राजनीति में हर समय एक तरीके की विचारधारा चलती है और उत्तर प्रदेश में भी समय हिंदूवादी विचारधारा की प्रबलता है. उसका परिणाम लोकसभा और दोनों विधानसभा चुनाव में भी नजर आता है. उन्होंने बताया कि इस बात का प्रमाण लोकसभा चुनाव के उस वक्त लगाया जा सकता है. जब सीएम अरविंद केजरीवाल (Delhi CM Arvind Kejriwal) की यहां जमानत जब्त हो गई थी. आम आदमी पार्टी निश्चित तौर पर जोर आजमाइश कर रही है, लेकिन इस बार भी गेंद बीजेपी के पाले में जाती हुई नजर आ रही है.

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