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श्रम योगी योजना से रसोइयों का सुधरेगा बुढ़ापा, लेकिन जो बूढ़े हो चले हैं उनका क्या? - तहत मीड डे मील बनाने वाली रसोइयां

प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना के तहत मीड डे मील बनाने वाली रसोइयों में भी खुशी की लहर है, लेकिन दुख इस बात का भी है कि इस योजना में कुछ नियम और कानून ऐसे हैं जिसकी वजह से लंबे वक्त से काम कर रहे वृद्ध रसोइए इस योजना से बाहर हैं.

प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना

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Published : Mar 5, 2019, 5:41 PM IST

वाराणसी:लोकसभा चुनाव से पहले हाल ही में पेश किए गए मोदी सरकार के अंतरिम बजट में कुछ घोषणाएं ऐसी की गई, जिसको यदि सुचारू रूप से लागू कर दिया जाए तो गरीब तबके को काफी बड़ी राहत मिलेगी. ऐसी ही एक योजना है प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना, जिसमें श्रमिकों को हर महीने 3000 रुपये पेंशन देने की तैयारी केंद्र सरकार ने की है.


इस लिस्ट में मिड डे मील के रसोइयों को भी इसका लाभ देने की तैयारी सरकार ने कर ली है, जिसकी वजह से इस तबके में बेहद खुशी है, लेकिन दुख इस बात का भी है कि इस योजना में कुछ नियम और कानून ऐसे हैं जिसकी वजह से लंबे वक्त से काम कर रहे वृद्ध रसोइए इस योजना से बाहर हैं. जिनको इसका लाभ मिलना है वह बेहद खुश हैं और इस योजना के बल पर अपने बुढ़ापे को सुधारने के आसार लगा रहे हैं.

महमूरगंज स्थित प्राथमिक विद्यालय में मिड डे मील बनाने वाली रसोईया मुन्नी देवी बेहद खुश हैं. खुशी इस बात की है कि केंद्र सरकार की तरफ से प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना के तहत उन्हें 60 साल की उम्र पार करने के बाद बुढ़ापे में 3000 रुपये हर महीने पेंशन मिलेंगी.

इस योजना में सरकार ने 18-40 वर्ष तक के रसोइयों को शामिल किया है. हर महीने 55 से 200 रुपये जमा करने पर रिटायरमेंट के बाद यानी 60 साल के बाद 3000 रुपये हर महीने पेंशन देने की तैयारी की है. मुन्नी का कहना है कि सरकार ने जिस तरह से हमारे बारे में पेंशन को लेकर सोचा है, वैसे मानदेय के लिए भी सोचना चाहिए, क्योंकि 1000 रुपये प्रतिमाह मानदेय से हमारा घर चलना संभव नहीं है.

देखिए खास रिपोर्ट.

वहीं इस पेंशन योजना का लाभ न पाने वाली 55 साल की निर्मला देवी बेहद उदास हैं. निर्मला देवी को इस बात का दुख है कि 15 सालों से वह अनवरत मिड डे मील बनाने का काम कर रही हैं. लेकिन जब सरकार ने रसोइयों को लाभ पहुंचाने की तैयारी की तो उनको इस योजना से बाहर का रास्ता देखना पड़ा, क्योंकि 40 वर्ष से ऊपर के रसोइयों को इस योजना में जगह नहीं मिली है.
प्राथमिक विद्यालय के हेड मिस्ट्रेस डॉ अलका का कहना है कि यह योजना बेहद लाभकारी है. निश्चित तौर पर यह प्राथमिक विद्यालयों में मिड-डे मील बनाने वाले रसोइयों के बुढ़ापे को सुधारने का काम करेगी, लेकिन जो रसोईए काफी दिन से काम कर रहे हैं और जो अब बूढ़े हो चले हैं उनके बारे में भी सरकार को कुछ न कुछ सोचना चाहिए था.

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