वाराणसी: अक्षय तृतीया पर सोने का खेल, यह सुनकर आप भी हैरान हो गए होंगे कि भला यह कैसी बात है, लेकिन यह हकीकत है. इसे हम नहीं कह रहे बल्कि यह काशी के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्यों का कहना है, जिनकी बातों पर बीएचयू का ज्योतिष विज्ञान केंद्र मोहर लगा रहा है. कैसे यह संभव है, जानने के लिए देखें, हमारी यह रिपोर्ट.
अक्षय तृतीया पर होता है सोने का खेलःअक्षय तृतीया वैशाख के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है. कहा जाता है कि इस दिन त्रेता युग की शुरुआत हुई थी. सनातन धर्म में इस पर्व को विशेष शुभ दिन माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार इस दिन विशेष रूप से स्नान, दान, जप, तप, हवन कर्म करने का प्रावधान है. क्योंकि इन सभी किए हुए कर्मों का इस दिन अनंत फल मिलता है और सारे बुरे कर्म अक्षय हो जाते हैं. इसीलिए इस पर्व को अक्षय कहते हैं.
आधुनिक काल में इस पर्व को लोकाचार ने सोने की खरीद से जोड़कर बताया, कहा गया कि इस दिन सोना खरीदना शुभ फलदाई माना जाता है. लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि इस दिन सोना खरीदने का कोई प्रमाण किसी भी धर्म शास्त्र में नहीं है. यह बात हम नहीं कह रहे बल्कि काशी के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्यों (Famous Astrologers of Kashi) का कहना है.
धर्म शास्त्र में नहीं है स्वर्णक्रय का प्रावधानःकाशी के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी (Famous Astrologer Pandit Pawan Tripathi) का कहना है कि वर्तमान में बाजारीकरण व्यवस्था ने इस त्योहार के मूल स्वरूप को खत्म कर दिया और उस दिन सोना खरीदने के महत्व को स्थापित कर दिया, जबकि इस दिन खरीदने का कोई प्रमाण किसी भी धर्म शास्त्र में नहीं मिलता. उनका कहना है कि अक्षय तृतीया पर दान को प्रमुख माना गया है. इसीलिए इस दिन दान करने की परंपरा धर्म ग्रंथों में कही गई है.