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विश्वनाथ धाम के निर्माण के दौरान बंद पड़े दो प्राचीन मंदिरों में फिर से शुरू हुआ दर्शन पूजन

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार के दौरान विश्वनाथ धाम का निर्माण जब शुरू हुआ तब बहुत से ऐसे मंदिर थे जो निर्माण की वजह से आम दर्शनार्थियों के लिए बंद कर दिए गए थे. यहां काफी लंबे वक्त से दर्शन पूजन बंद था. लेकिन अब धीरे-धीरे विश्वनाथ धाम का कार्य पूर्ण होने के बाद इन मंदिरों को पुनः भक्तों के लिए खोला जा रहा है.

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Published : Jun 13, 2022, 9:39 PM IST

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अमृतेश्वर महादेव

वाराणसी: श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार के दौरान विश्वनाथ धाम का निर्माण जब शुरू हुआ तब बहुत से ऐसे मंदिर थे, जो निर्माण की वजह से आम दर्शनार्थियों के लिए बंद कर दिए गए थे. यहां काफी लंबे वक्त से दर्शन पूजन बंद था. लेकिन अब धीरे-धीरे विश्वनाथ धाम का कार्य पूर्ण होने के बाद इन मंदिरों को पुनः भक्तों के लिए खोला जा रहा है.

ऐसे ही सोमवार को दो प्राचीन मंदिरों को पुनः दर्शन पूजन के लिए खोला गया है. यह मंदिर नीलकंठ महादेव और अमृतेश्वर महादेव के मंदिर हैं. जिसे लेकर काफी विरोध भी हुआ था. लेकिन अब यहां भक्त फिर से दर्शन पूजन कर सकेंगे.

श्री काशी विश्वनाथ धाम में दो ऐसे दुर्लभ मंदिर हैं, जो जमीन से काफी नीचे हैं. इनमें से एक मंदिर श्री नीलकंठेश्वर महादेव का है जबकि दूसरा श्री अमृतेश्वर महादेव मंदिर है. इन दोनों मंदिरों का महत्व काशी खंडोक्त में भी मिलता है. धाम के निर्माण के दौरान इन दोनों मंदिरों में आम दर्शनार्थी पूजा पाठ नहीं कर पा रहे थे, लेकिन मंदिर प्रशासन ने इन मंदिरों का पुनः जीर्णोद्धार करा कर आम दर्शनार्थियों के लिए पूजा-पाठ का सुगम मार्ग तैयार कर दिया है.

दोनों मंदिर तंग गलियों में भवनों के भीतर थे, जिससे आम दर्शनार्थी का पहुंचना बड़ा ही मुश्किल था. अब धाम में आने वाले श्रद्धालु आसानी से इन मंदिरों में जाकर बिना किसी रोक-टोक के पूजा पाठ कर सकेंगे.

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मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील कुमार वर्मा मंदिर के ट्रस्टी ब्रज भूषण ओझा और काशी विश्व विद्युत परिषद के प्रोफेसर राम नारायण द्विवेदी की उपस्थिति में दोनों मंदिरों का पूजन अर्चन किया गया. दोनों मंदिरों में अतिथियों ने षोडशोपचार पूजन कर आम दर्शनार्थियों के लिए खोल दिया गया. मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने बताया कि मंदिर में प्रकाश और हवा की व्यवस्था के लिए ही स्टील की जाली चारों ओर लगाई गई है.

वहीं, स्टील के चादर से ही इन मंदिरों का छाजन बनाया गया है. सीढ़ियों पर किनारे की ओर स्टील की रेलिंग भी लगाई गई है ताकि दर्शनार्थी आसानी से इनको पकड़कर नीचे जा कर पूजा पाठ कर सकेंगे.

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