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बीएचयू में राजेंद्रनाथ लाहिड़ी स्मारक बनाने के लिए छात्रों ने दिया ज्ञापन

बीएचयू के पूर्व और वर्तमान छात्रों ने महान क्रांतिकारी राजेंद्रनाथ लाहिड़ी का स्मारक बनाने की मांग को लेकर छात्रा अधिष्ठाता को ज्ञापन सौंपा है. इसके अलावा उन्होंने महान क्रांतिकारी के नाम पर विश्वविद्यालय का सड़क रखने की भी मांग की.

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बीएचयू में राजेंद्रनाथ लाहिड़ी स्मारक बनाने के लिए छात्रों ने सौंपा ज्ञापन.

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Published : Nov 26, 2020, 5:19 PM IST

वाराणसी: अमर शहीद राजेंद्रनाथ लाहिड़ी का स्मारक बनाए जाने और उनके शहादत दिवस 17 दिसंबर को शहर सहित विश्वविद्यालय में कार्यक्रम आयोजित करने के संदर्भ में बीएचयू एनएसयूआई यूनिट के छात्रों ने छात्र अधिष्ठाता को ज्ञापन सौंपा. बीएचयू के पूर्व और वर्तमान छात्रोंं के द्वारा महान क्रांतिकारी राजेंद्रनाथ लाहिड़ी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए लगातार मुहिम चलाई जा रही है. इसके तहत विश्वविद्यालय में भी छात्रों को महान क्रांतिकारी के बारे में अवगत कराया जा रहा है.

छात्रों की मांगें-

  1. विश्वविद्यालय राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी शोधपीठ की स्थापना करे, जो स्वतंत्रता आंदोलन के क्रांतिकारियों के नेतृत्व और गतिविधि केंद्रित इतिहास शोध कार्य का अध्ययन करें और उस को बढ़ावा दें.
  2. महान क्रांतिकारी के नाम से हो विश्वविद्यालय में सड़क.
  3. विश्वविद्यालय स्वतंत्रता भवन का नाम राजेंद्र लाहिड़ी स्वतंत्रता भवन किया जाए.
  4. शताब्दी सुपर स्पेशलिटी सेंटर या बीएचयू ट्रॉमा सेंटर का नाम राजेंद्र लाहिड़ी के नाम पर किया जाए.

देश के आंदोलन में रहा महत्वपूर्ण योगदान
बीएचयू छात्र श्याम बाबू मौर्या ने बताया कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना भारतीय राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन की एक मजबूत नींव पर हुआ. अगर यह कहा जाए कि विश्वविद्यालय सामाजिक, राजनीतिक और लोकतांत्रिक आंदोलन का एक शानदार अभिव्यक्ति है तो इसमें परहेज नहीं करना चाहिए. अमर शहीद राजेंद्रनाथ लाहिड़ी काशी हिंदू विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के छात्र थे. सन 1919 में उन्होंने बीएचयू से जुड़े सेंट्रल हिंदू स्कूल में दाखिला लिया था और यहीं से उन्होंने बीए की पढ़ाई की थी. 17 दिसंबर 1927 को जब उन्हें यूपी के गोंडा जेल में फांसी दी गई तो उस समय बीएचयू के इतिहास विभाग के छात्र थे. उनकी शहादत के अब 93 वर्ष पूरे हो रहे हैं, लेकिन दु:ख की बात है कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय परिवार अपने इस पूर्व छात्र को न तो कभी याद करता है और न ही उनके नाम से कोई स्मारक का निर्माण हुआ है.

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