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बीएचयू के प्रोफेसर ने विश्वनाथ मंदिर को लेकर दिया विवादित बयान, विद्यार्थियों ने कार्रवाई की मांग की - controversial statement on Vishwanath temple

बीएचयू के प्रोफेसर ने काशी विश्वनाथ मंदिर को लेकर विवादित बयान दिया है. प्रोफेसर के बयान से आहत बीएचयू के छात्रों ने प्रोफेसर कार्रवाई करने की मांग की है.

बीएचयू
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Published : Aug 16, 2022, 8:56 PM IST

वाराणसी: श्रीकाशी विश्वनाथ और ज्ञानवापी मस्जिद का मामला न्यायालय में चल रहा है. जिसको लेकर लगातार तारीख पर तारीख पड़ रही है. इसी बीच काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के प्रोफेसर एमपी अहिरवार काशी विश्वनाथ धाम को लेकर विवादित बयान दिया है, जिसका वीडियो वायरल हो रहा है. एक न्यूज पोर्टल पर दिए गए इंटरव्यू में प्रोफेसर अहिरवार ने विश्वनाथ मंदिर के तहखाने और काशी के प्रसिद्ध दुर्गा मंदिर को लेकर विवादित देते हुए नजर आ रहे हैं. इस बयान से भड़के बीएचयू के विद्यार्थियों ने प्रोफेसर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.


सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में बीएचयू के प्रोफेसर एमपी अहिरवार ने ज्ञानवापी, काशी विश्वनाथ मंदिर, मुड़कट्टा और दुर्गाकुंड स्थित कूष्मांडा के प्राचीन मंदिर सहित कई प्राचीन मंदिरों को बौद्ध विहार का हिस्सा बता रहे हैं. यह इंटरव्यू एक निजी पोर्टल को 12 जून को दिया गया था. इसी इंटरव्यू का एक हिस्सा तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

वायरल वीडियो के जिस हिस्से पर सबसे ज्यादा बवाल हो रहा है, वह ज्ञानवापी से जुड़ा हुआ है. वीडियो के इस हिस्से में प्रोफेसर कह रहे है कि विश्वनाथ मंदिर के तहखाने में औरंगजेब के राज दरबार की महारानियों के साथ तहखाने में दुर्व्यवहार हुआ था. इसका पुख्ता सबूत हमारे पास नहीं है लेकिन, इतिहासकारों ने लिखा है. जिस कारण से मंदिर तोड़ा गया. वीडियो में ही प्रोफेसर अहिरवार ने कहा कि ज्ञानवापी में एक बड़ा बुद्ध विहार था और दुर्गा कुंड में एक विशाल बौद्ध विहार था. प्रोफेसर के इस इंटरव्यू के बाद काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्रों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है. बीएचयू के छात्रों ने प्रोफेसर पर कार्रवाई करने की मांग के साथ आंदोलन की चेतावनी दी है.

बीएचयू के शोध छात्र पतंजलि पांडे ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने और ऐतिहासिक तथ्यों के लिए बोली गई बातों उन पर तत्काल कार्रवाई करे. इतिहास के प्रोफेसर होकर उन्हें बिना किसी तथ्य के बयान नहीं देना चाहिए. इतना ही नहीं, जिस तरीके से दिल्ली और लखनऊ में मुकदमे दर्ज हुए थे. वैसे ही प्रदेश सरकार भी उन पर मुकदमा दर्ज करे. अन्यथा विश्वविद्यालय के छात्र आंदोलन करेंगे.

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इस पूरे मामले पर वार्ता करने के लिए काशी हिंदू विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के प्रोफेसर एमपी अहिरवार से कई बार संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया.


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