वाराणसी: 21 साल पहले मुख्तार अंसारी के काफिले पर हमले के मामले में बृजेश सिंह उर्फ अरुण सिंह को गुरुवार को वाराणसी की सेंट्रल जेल से रिहा कर दिया गया. कल हाईकोर्ट ने बृजेश को इस मामले में सशर्त जमानत दी थी. जमानत के बाद गुरुवार को हाईकोर्ट का फरमान जेल में दोपहर बाद पहुंचा जिसके बाद कागजी कार्यवाही पूरी कर बृजेश सिंह को जेल से रिहा कर दिया गया. इस बात की पुष्टि सेंट्रल जेल के जेलर ने की है.
ईटीवी भारत से फोन पर हुई बातचीत में जेलर ने बताया कि शाम लगभग 7:30 बजे बृजेश सिंह को कागजी कार्रवाई पूरी करने के बाद जेल से रिहा कर दिया गया है.बाहुबली बृजेश सिंह उर्फ अरुण कुमार सिंह को 21 साल पुराने गाजीपुर के उसरी चट्टी हत्याकांड में हाईकोर्ट ने सशर्त जमानत दी है. ये आदेश बुधवार को जज अरविंद कुमार मिश्रा ने दिया है. बृजेश सिंह पर सिर्फ 3 केस में ट्रायल चल रहा है. 2 मामलों में पहले ही जमानत मिल चुकी है. सिर्फ यही एक मुकदमा था, जिसमें जमानत नहीं मिली थी. बृजेश 14 साल से जेल में है. फिलहाल, वह वाराणसी सेंट्रल जेल में बंद थे. गुरुवार शाम उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया.
बृजेश सिंह का परिवार वाराणसी और चंदौली जिले में अपने सियासी रसूख के लिए अलग पहचान रखता है. उनके बड़े भाई उदयनाथ सिंह उर्फ चुलबुल सिंह वाराणसी सीट से दो बार एमएलसी रह चुके हैं. बृजेश की पत्नी अन्नपूर्णा सिंह भी वाराणसी सीट से दूसरी बार एमएलसी हैं. वहीं, वर्ष 2016 में बृजेश वाराणसी सीट से एमएलसी चुने गए थे. बृजेश के भतीजे सुशील सिंह चौथी बार चंदौली जिले से भाजपा के विधायक चुने गए हैं. बृजेश के एक अन्य भतीजे सुजीत सिंह उर्फ डॉक्टर वाराणसी के जिला पंचायत अध्यक्ष रहे.
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15 जुलाई 2001 को मऊ सदर के तत्कालीन विधायक माफिया मुख्तार अंसारी अपने विधानसभा क्षेत्र जा रहे थे. आरोप है कि दोपहर साढ़े 12 बजे गाजीपुर जिले की मुहम्मदाबाद कोतवाली क्षेत्र के यूसुफपुर-कासिमाबाद मार्ग पर उसरी चट्टी पर उनके काफिले पर जानलेवा हमला किया गया था. इस हमले में मुख्तार के गनर सहित तीन लोग मारे गए थे और 9 लोग घायल हुए थे. वारदात के संबंध में मुख्तार ने बृजेश और त्रिभुवन सिंह को नामजद करते हुए 15 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था. पुलिस ने कोर्ट में चार आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था, जिनमें से दो की ट्रायल के दौरान मौत हो गई है.
उल्लेखनीय है कि चौबेपुर थाना के धौरहरा गांव के मूल निवासी बृजेश सिंह के पिता रवींद्र नाथ सिंह उर्फ भुल्लन सिंह की हत्या जमीन विवाद की रंजिश में 27 अगस्त 1984 को की गई थी. पिता की हत्या का बदला लेने के लिए बृजेश सिंह ने घर छोड़ दिया था. 28 मई 1985 को बृजेश सिंह का नाम धौरहरा के हरिहर सिंह की हत्या में आया था. इसके बाद यूपी, बिहार, झारखंड और महाराष्ट्र में बृजेश सिंह के खिलाफ 41 मुकदमे दर्ज हुए. 24 फरवरी 2008 को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने बृजेश सिंह को ओडिशा के भुवनेश्वर से गिरफ्तार किया था. साल 2016 के एमएलसी चुनाव में दिए गए शपथ पत्र के अनुसार बृजेश सिंह ने अपने खिलाफ दर्ज मुकदमों की संख्या 11 बताई थी.
बृजेश सिंह के जेल से बाहर आने के बाद सबसे बड़ा सिर दर्द पुलिस के लिए होने जा रहा है. बृजेश सिंह का एक बड़ा दुश्मन इंद्रदेव सिंह उर्फ बीकेडी है. बीकेडी की तलाश पुलिस वर्ष 2013 से कर रही है और मौजूदा समय में उस पर एक लाख रुपये का इनाम घोषित है. वहीं, बीकेडी के पिता की हत्या का आरोप भी बृजेश सिंह पर है. इसके अलावा भी करीब 23 साल तक जरायम जगत में सक्रिय रहने के कारण बृजेश सिंह की अदावत कई माफिया गिरोहों से है.
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