सहारनपुर:8 नवंबर का दिन यानि नोटबन्दी की तीसरी वर्षगांठ पर जहां सरकार उपलब्धियां गिनाने में लगी है तो वहीं व्यापारी वर्ग नोटबन्दी से तीन साल बाद भी उभर नहीं पा रहा है. इन तीन सालों में न सिर्फ व्यापार बहुत पिछड़ गया है, बल्कि बाजारों में ग्राहक भी गायब हो गए हैं. व्यापारियों की मानें तो नोटबन्दी के बाद देश का व्यापार 70 प्रतिशत प्रभावित हुआ है. 500 और 1000 के नोट बैन किये जाने के 3 साल बाद सरकार को कोई लाभ तो नहीं हुआ, लेकिन व्यापार संकट में जरूर आ गया है. सरकार को 8 नवंबर की तारीख को समीक्षा दिवस के रूप में मनाना चाहिए.
नोटबन्दी के तीन साल
हम सब जानते हैं कि 8 नवंबर 2016 की शाम को 8 बजे प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र को सम्बोधित करते हुए न सिर्फ ऐतिहासिक फैसला सुनाया था बल्कि 500 और 1000 के पुराने नोटों का प्रचलन बंद कर दिया था. नोटबन्दी के अगले दिन से नोट बदलने के लिए सभी देशवासियों को बैंकों की लाइन में लगना पड़ा. नोटबन्दी के तीन साल गुजर गए, लेकिन इन तीन सालों में आमजन को तो परेशानियों का सामना करना पड़ा ही है और साथ ही व्यापारी वर्ग को भी बड़ा झटका लगा है.
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समीक्षा दिवस के रूप में मनाना चाहिए आज का दिन
व्यापारियों से बातचीत के दौरान व्यापारी नेता विवेक मनोचा ने बताया कि नोटबन्दी के तीन साल व्यापारियों के लिए मुसीबत के साल गुजरे हैं. इन तीन सालों में हर क्षेत्र का व्यापार पूरी तरह ठप हो चुका है. केंद्र सरकार को आज के दिन को एक समीक्षा दिवस के रूप में स्वीकार करना चाहिए. हम जानना चाहते हैं कि तीन साल पहले जो नोटबंदी की गई थी वह आखिर किस मकसद से की गई थी.