नई दिल्ली/नोएडा:साल 1952 के आम चुनाव में गौतमबुद्ध नगर सीट खुर्जा सुरक्षित संसदीय के नाम से जानी जाती थी. साल 1947 में देश के विभाजन के समय बलूचिस्तान पाकिस्तान से विस्थापित होकर आए कन्हैया लाल वाल्मीकि कांग्रेस पार्टी से प्रत्याशी बने.
जानकारी पर मालूम पड़ा कि साल 1952 में कांग्रेस प्रत्याशी कन्हैया लाल वाल्मीकि ने चंदे के बल पर चुनाव प्रचार किया. झंडे और बैनर कांग्रेस पार्टी से मिले. प्रचार ज्यादातर पैदल ही हुआ करता था.
गौतमबुद्ध नगर लोकसभा क्षेत्र सीट का इतिहास बैलगाड़ी से गांव-गांव जाकर करते थे प्रचार
गांव-गांव संपर्क के लिए तब आमतौर पर सड़क मार्ग नहीं हुआ करते थे. टूटे-फूटे ग्रामीण रास्तों में जलभराव की बड़ी समस्या थी. ऐसे में प्रत्याशी ने बैलगाड़ी का सहारा लिया और चुनाव प्रचार किया. उस दौरान लोगों को आकर्षित करने के लिए कार्यकर्ता घंटा और ताल बजाकर नुक्कड़ सभाएं भी किया करते थे.
'चंदे के 2 रुपये बचने पर कार्यकर्ताओं में बंटे'
साल 1952 में हुए चुनाव में जीत के बाद चंदे के बचे 2 रुपये कन्हैया लाल ने गरीब कार्यकर्ताओं के बीच बांट दिए थे, जिसका जिक्र अक्सर 1967 के आम चुनाव के समय राजनीति में आई गिरावट को लेकर किया करते थे.
बता दें कि 1952, 1957 और 1962 में कांग्रेस के टिकट पर खुर्जा संसदीय क्षेत्र (अब गौतमबुद्ध नगर) में चुनाव जीतकर कन्हैयालाल लगातार 15 साल से अधिक तक सांसद रहे. उन्होंने प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी के साथ काम किया.